दिनबंधु दीनानाथ मेरी सुध लीजिए, दीनो के दयाल दाता मोपे दया कीजिए। खेती नाहीं बाड़ी नाहीं, बीणज व्यापार नाहीं, एसों कोई सेठ नाहीं, जाँ से कछु लीजिए दीनो के दयाल दाता….|1| भाई नाहीं बन्धु नाहीं, कूटुंब कबीलो नाहीं, एसों कोई मित्र नाहीं, जाँ से कच्छु लिजये दीनो के दयाल दाता….|2| सोने को सुनैयो नाहीं, रूपै
हनुमान सालासर के, महावीर सालासर के आयो मैं शरण में तेरी। सियाराम के कारज सारे, लंका में आप पधारे। सीताका शोक निवारे, तन गोद मुद्रिका डारी।। हनुमान सालासर के… तूने अक्षय कँवर को मारा, फिर बाग़ जाय उजड़ा। फीर फीर(हर तरफ़ जाके)के लंका ज़ारा, घर विभीषण का उबारा।। हनुमान सालासर के… लक्ष्मण जी को मुर्छा
भरत म्हारे कपि जी से अंतर नाहीं, तु मत जिम भलई भरत म्हारे, कपि जी से अंतर नाहीं। जुठेड़ो जीमे अछूतो जिमावे, हाथ धोवे सरयू माइ, हनुमत म्हारे प्राणा से प्यारों, तु मात जिम भलई। १००(सौ) योजन मर्याद समुद्र की, कूद गयो पल माइ, लंका जाये सिया सुधी ल्यायो, गर्ब(घमंड) नहीं मन माइ। शक्तिबाण लग्यो
चाल सखी सत्संग में चाला, सत्संग में माधव आसी, राम गुण रामगुण गावो म्हारी, सजनी नहि तो जुगड़ा में बैज्यासी। ब्रह्मा आसी विष्णु आसी, शंकर आसी बाबों कैलाशी, सुंड सुण्डाल्यो बाबो गणपत आसी, संग में आ गौरजा माँ आसी।। राम लक्ष्मण दशरथजी का लड़का, माधो वन को वनवासी, हनुमान सा पायक आसी, संग में आ