कोठे ऊपर कोठरी मैया का भवन सजा दूंगी, जो मेरी मैया टिका माँगे बिंदी और लगा दूंगी, जो मेरी मैया पैहर के निकलै जयकारा लगा दूंगी, कोठे ऊपर कोठरी मैया का भवन सजा दूंगी॥ जो मेरी मैया कुंडल माँगे नथनी भी पैहरा दूंगी, जो मेरी मैया पैहर के निकलै जयकारा लगा दूंगी, कोठे ऊपर कोठरी
पवन उड़ा के ले गयी रे मेरी माँ की चुनरिया, उड़के चुनरिया कैलाश पे पहुची, गौराजी के मन को भा गयी रे, मेरी माँ की चुनरिया। पवन उड़ा के ले गयी रे मेरी माँ की चुनरिया उड़के चुनरिया अयोध्या में पहुची माता सीता के मन को भा गयी रे मेरी माँ की चुनरिया। पवन उड़ा
हमको ये तो बता दो ओ मैया, तेरा जलवा कहा पे नही है॥ लोग पिते है पी पी के गिरते, हम पीते है फिर भी ना गिरते, हम तो पीते है सत्संग का प्याला, कोई अंगूरी की मदिरा नही है। हमको ये तो बता दो ओ मैया, तेरा जलवा कहा पे नही है। लोग दुःख