माया मरी ना मन मरा, मर मर गया शरीर। आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर॥ माया हैं दो भान्त की, देखो हो कर बजाई। एक मिलावे राम सों, एक नरक लेई जाए॥ मन चंचल चल राम शरण में। हे राम हे राम हे राम हे राम॥ ◾️ राम ही तेरा जीवन साथी, मित्र