॥दोहा॥ श्री राधे वुषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार। वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रानावौ बारम्बार॥ जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम। चरण शरण निज दीजिये सुन्दर सुखद ललाम॥ ॥चौपाई॥ जय वृषभानु कुँवरी श्री श्यामा, कीरति नंदिनी शोभा धामा॥ नित्य बिहारिनी रस विस्तारिणी, अमित मोद मंगल दातारा॥1॥ राम विलासिनी रस विस्तारिणी, सहचरी सुभग यूथ मन भावनी॥ करुणा सागर हिय उमंगिनी, ललितादिक