जयकारा शेरावाली दा, बोल साँचे दरबार की जय… त्रिशूल पे तेरे धरती थमी है, मैया ऋणी है ये दुनिया तेरी, धूं धूं जले बस्तियां पाप की माँ, ज्वाला सी देहके जो बिंदिया तेरी… ज़ालिम अगर शक्तिशाली है तो क्या, सच तोड़ देता है फौलाद को, मैया जो दो-दो जने शेर तूने, वो चीर डालेंगे अपराध