राम जी की निकली सवारी, राम जी की लीला है न्यारी। -श्लोक- ◾️ हो सर पे मुकुट सजे, मुख पे उजाला, हाथ में धनुष गले, में पुष्प माला, हम दास इनके, ये सबके स्वामी, अन्जान हम ये अन्तरयामी, शीश झुकाओ राम-गुन गाओ, बोलो जय विष्णु के अवतारी। राम जी की निकली सवारी, राम जी की