Tag: Lakhbir Singh Lakha

रे मन शिव का सुमिरण कर शिव से आदि शिव से अंत है।

रे मन शिव का सुमिरण कर, शिव से आदि शिव से अंत है, शिव ही अजर अमर, रे मन शिव का सुमिरण कर॥ ◾️सत्य सजीव सनातन सुन्दर, शिव ही सकल सुजान, शिव ही नाद अबाद अगोचर, शिव ही ताले सवर, रे मन शिव का सुमिरण कर, रे मन शिव का सुमिरण कर॥ ◾️शिव ही दृश्य

निराले दूल्हे में मतवाले दूल्हे में सज रहे भोले बाबा।

निराले दूल्हे में मतवाले दूल्हे में सज रहे भोले बाबा निराले दूल्हे में।।  देखो भोले बाबा की अजब है बात,  चले हैं संग ले कर के भूतों की बारात,  सज रहे भोले बाबा निराले दूल्हे में।।  है भेस निराला, जय हो पीये भंग का प्याला, जय हो सर जटा चढ़ाये, जय हो तन भसम लगाए,

ताना रे ताना विभीषण का जिसको नहीं सुहाया

ताना रे ताना विभीषण का जिसको नहीं सुहाया भरी सभा में फाड़ के सीना बजरंग ने दिखलाया बैठे राम राम राम सीता राम राम राम देख राम सीता की मूरत लंकापति घबराया धन्य है रे बजरंगी उसको जिसका तू है जाया शर्मिंदा हो लंकपति ने अपना शीश झुकाया भरी सभा में फाड़ के सीना बजरंग

राम भी मिलेंगे तुझे श्याम भी मिलेंगे जब तुझे श्री हनुमान जी मिलेंगे

राम भी मिलेंगे तुझे श्याम भी मिलेंगे जब तुझे श्री हनुमान जी मिलेंगे राम भी मिलेंगे तुझें श्याम भी मिलेंगे।। ◾️राम और श्याम को बजरंगी बड़े प्यारे योद्धा है कन्हैया के राम के दुलारे चाहे जो बजरंगी राम श्याम जी मिलेंगे चाहे जो बजरंगी राम श्याम जी मिलेंगे राम भी मिलेंगे तुझें श्याम भी मिलेंगे।।

जय हो जय हो तुम्हारी जी बजरंगबली ले के शिव रूप आना गज़ब हो गया।

जय हो जय हो तुम्हारी जी बजरंगबली ले के शिव रूप आना गज़ब हो गया। त्रेता युग में थे तुम आये द्वार में भी तेरा कलयुग में आना गज़ब हो गया॥ ।।बचपन की कहानी निराली बड़ी जब लगी भूख बजरंग मचलने लगे। फल समझ कर उड़े आप आकाश में तेरा सूरज को खाना गज़ब हो

राम जी के साथ जो हनुमान नहीं होते राम जी के पुरे कभी काम नहीं होते।।

राम जी के साथ जो हनुमान नहीं होते राम जी के पुरे कभी काम नहीं होते।। ◾️हनुमान पर्वत उठाकर ना लाते कैसे संजीवन सुषेण वेद पाते प्राण जाते लक्ष्मण के राम रहते रोते राम जी के पुरे कभी काम नहीं होते। राम जी के साथ जो हनुमान नहीं होते राम जी के पुरे कभी काम

माँ अंजनी के लाल सुनले ना मेरी पुकार॥

माँ अंजनी के लाल, सुनले ना मेरी पुकार माँ अंजनी के लाल, सुनले ना मेरी पुकार हो जायेँ भव से पार हम पे कृपा जो तेरी हो॥ माँ अंजनी के…॥ ◾️दरबार तेरा पावन, लगती है शोभा प्यारी। महिमा तेरी है निराली जाने दुनिया सारी। तेरी भक्ति से, तेरी शक्ति से मिट जाते सब जंजाल॥१॥ माँ

मनड़ा रे जे तू बालाजी ने ध्याय सी कष्ट तेरा सगळा कट जायसी

मनड़ा रे जे तू बालाजी ने ध्याय सी कष्ट तेरा सगळा कट जायसी सच्चे मन से तू देख बुलाय सी बजरंग बेड़ो पार लगाय सी बाबो बेड़ो पार लगाय सी मनड़ा रे जेतू बालाजी ने ध्याय सी।। ◾️सालासर रो बाबो सदा सुख बरसावे सँवर जावे बिगड़ी शरण जो आ जावे दुलारो अंजनी को भगता को

बाला सा थाने कोण सजाया जी म्हारे मनड़ो हर लीनो थारी सूरत मतवारी।

बाला सा थाने कोण सजाया जी, म्हारे मनड़ो हर लीनो, थारी सूरत मतवारी।। श्लोक – उत्सव आप को आ गयो, खूब सज्यो शृंगार, वीर बजरंगी मैं आपकी, लेउँ नज़र उतार। ◾️बाला सा थाने कोण सजाया जी, म्हारे मनड़ो हर लीनो, थारी सूरत मतवारी, म्हारे मनड़ो हर लीनो, थारी सूरत मतवारी।। ◾️थारे हाथ में घोटा, लाल

बजरंग की झांकी है अपार सजा है दरबार भजन हम गाएंगे

बजरंग की झांकी है अपार सजा है दरबार भजन हम गाएंगे श्लोक – लाल लंगोटा हाथ में सोटा झांकी अपरम्पार रूप अनोखा आज सजा है बोलो जय जयकार।बजरंग की झांकी है अपार सजा है दरबार भजन हम गाएंगे बाबा की झांकी है अपार हनुमत की झांकी है अपार सजा है दरबार भजन हम गाएंगे।। राम