Tag: Lakhbir Singh Lakha

चंदा सा मुखड़ा ब्राइट मस्तक पे मून लाइट।

चंदा सा मुखड़ा ब्राइट, मस्तक पे मून लाइट। श्लोक – नाग विराजे गले में जिनके, सर पर गंग सवार, रूप दिगंबर का धरे, जग के पालनहार, चार वेद और छह शाश्त्रो ने, कहा यही हर बार, देवो के देव महादेवजी, तेरी महिमा अपरम्पार। ◾️चंदा सा मुखड़ा ब्राइट, मस्तक पे मून लाइट, गंगा जी सर पर

ओ डमरू वाले जीवन है तेरे हवाले।

ओ डमरू वाले, जीवन है तेरे हवाले, मैं पापी हो जाऊँ पावन, चरणों में जो बिठा ले, ओ डमरू वाले, जीवन है तेरे हवाले।। ◾️दुनिया का सुख पाकर फुला, नाम तुम्हारा मन से भुला, दिन दुखी का दुःख ना जाना, गाता रहा खुशियो का तराना, आज वही कांटे चुभते है, आज वही कांटे चुभते है,

कब लोगे खबर भोलेनाथ बड़ी देर भई।

कब लोगे खबर भोलेनाथ बड़ी देर भयी बड़ी देर भयी, कब लोगे खबर भोलेनाथ, चलते चलते मेरे पग हारे, कब लोगे खबर भोलेनाथ॥ ◾️आया हूँ में भी द्वार तुम्हारे, अपनी झोली आज पसारे, खाली जाऊँ भला मै केसे, तेरेदर से हे भोलेनाथ, बड़ी देर भयी बड़ी देर भयी॥ ◾️अंजाना हूँ राह दिखा दो, अब तो

कान्हा की दीवानी, मीरा हो गई बदनाम।।

श्लोक – राम तने रंग राची मैं तो, साँवरिया रंग राची, कोई कहे मीरा बाँवरी, कोई कहे मदमाती। ◾️ कान्हा की दीवानी, मीरा हो गई बदनाम, कान्हा की दीवानी, दीवानी कान्हा की, मीरा हो गई बदनाम, अपने तन की सुध बुध भूली, भूले जग के काम, कान्हा की दिवानी, मीरा हो गई बदनाम।। ◾️ प्रेम

भोले दानी रे भोले दानी भोले दानी भोले दानी।

भोले दानी रे भोले दानी, श्लोक दिन और दुखियो के तुम हो सहारे, सदा अपने भक्तो को भोले उबारे, भसम भभूति अपने तन पर राजे, नाग गले में डाले पिते हो नित भांग, के भोले जी तुम प्याले॥ भोले दानी, रे भोले दानी, भोले दानी भोले दानी, भोले निराला, पिए सदा भंगिया का प्याला, हे

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में, देख लो मेरे मन के नागिनें में। मुझ को कीर्ति न वैभव न यश चाहिए, राम के नाम का मुझ को रस चाहिए। सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में, श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में॥ ◾️ अनमोल कोई भी चीज मेरे काम की नहीं,

कीजो केसरी के लाल मेरा छोटा सा यह काम।

कीजो केसरी के लाल मेरा छोटा सा यह काम मेरे राम जी से कह देना जय सियाराम मैं राम संग जपता तुम्हारा सदा नाम अपने राम जी से कह देना जय सिया राम दीन हीन के सहारे महावीर तुम हो अपने भक्तो की जगाते तकदीर तुम हो हर दुखिया का हाथ तुम लेते हो थाम

बजरंगबली तेरा हम दर्श अगर पाएं।

बजरंगबली तेरा हम दर्श अगर पाएं। हे राम भक्त तेरे चरणों में लिपट जाए॥ ◾️अंजनी के लाल जग में तेरी महिमा भारी है। हे पवन पुत्र तुम तो शंकर अवतारी है। बिन देखे तेरी सूरत अब चैन नहीं आए॥ बजरंगबली तेरा…। ◾️सूरज ने निगल कर के, बजरंगी कहलाए। लंका को जला कर के सीता की

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे देख लो मेरे दिल के नगीने में॥

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे देख लो मेरे दिल के नगीने में॥ ◾️श्लोक- ना चलाओ बाण व्यंग के ऐ विभिषण ताना ना सह पाऊं क्यूँ तोड़ी है ये माला तुझे ए लंकापति बतलाऊं मुझमें भी है तुझमें भी है सब में है समझाऊँ ऐ लंकापति विभीषण ले देख मैं तुझको आज दिखाऊं॥

सजा है दरबार तेरा हे पवन कुमार तेरा।

सजा है दरबार तेरा हे पवन कुमार तेरा सजा है दरबार तेरा जय हो हे पवन कुमार तेरा जय हो सजा है दरबार तेरा जय हो हे पवन कुमार तेरा जय हो अद्भुत है गदा है तेरे हाथ हाथ बजरंगी क्या तेरी बात बात तेरी ध्वजा तेरी ध्वजा शिखर लहराए ◾️सजा है दरबार तेरा हे