ना स्वर है ना सरगम है ना लय न तराना है हनुमान के चरणो में एक फूल चढ़ाना है।। तुम बाल समय में प्रभु सूरज को निगल डाले अभिमानी सुरपति के सब दर्प मसल डाले बजरंग हुए तब से संसार ने जाना है ना स्वर है ना सरगम हैं ना लय न तराना है।। सब