टेर : सुमिरण करले मेरा मना बीती उम्र हरि नाम बिना। हस्ती दन्त बिना, पंछि पंख बिना, जिमि राहगीर है पथ बिना। वैश्या का पुत्र पिता बिन हिना, जिमि प्राणी हो प्राण बिना।। सुमिरण करले…… धेनु क्षीर नदियाँ नीर बिन, जैसे नारी पुरुष बिना। जैसे तरवर फल बिन सुना, जिमि धरती रहे मेघ बिना।। सुमिरण
टेर : कोणी माने ऐ यशोदा तेरो गिरधारी। घर का तो छोड़ा कान्हा, महल मालिया, गुजारी की झोपड़ी, लगे प्यारी। कोणी माने ऐ….. घर का तो छोड़ा कान्हा, माखन मिसरी, तने गुजरी की राबड़ी, लगे प्यारी। कोणी माने ऐ….. घर का तो छोड़ा कान्हा, पलंग पथरना, तने गुजरी की गुदड़ी, लगे प्यारी। कोणी माने ऐ…..
सीताराम सीताराम सीताराम बोल। राधेश्याम राधेश्याम राधेश्याम बोल॥ यह दुनिया है गोरख-धन्धा, भेद समझता कोई-कोई बन्दा। ब्रह्म स्वरुप तराजू तोल, सीताराम सीताराम सीताराम बोल॥1॥ क्यों विषयों में मन को लगाया, पालनहार को दिलसे भुलाया। जीवन मिट्टी में ना रोल, राधेश्याम राधेश्याम राधेश्याम बोल॥2॥ भज ले रे मन! कृष्ण मुरारी, नटवर-नागर कुञ्जबिहारी। ना लगता कछु तेरा
मैं तो कृष्ण भजु या राम : कृष्ण जी और राम जी दोनों एक ही है। एक भगत की भावना को इस भजन में बहुत ही सूंदर शब्दों में व्यक्त किया गया है। श्री राम…… राम…….राम……हो हो राम…… राम कृष्ण दोहु एक…. है एक है …… एक है राम कृष्ण दोहु एक…. है अंतर
टेर : थारी मुरली मनड़ो मोयो कान्हा और बजाओ थारी मुरली न। आ मुरली मीरा बाई ने मोही राणे न छोड़ मीरां थारे संग होई मेड़तियो छिटकायो कान्हा। आ मुरली राधा प्यारी ने मोही बृज में गोपी लीला होई मधुबन रास रचायो कान्हा। आ मुरली कर्मा बाई न मोही मंदिर में थारी बाटा जोही जीण
शास्त्रों के अनुसार भगवान को आरती के बाद भोग लगाया जाता है। आज हम कृष्ण जी का बहुत ही सूंदर भोग लेके आये है। जो निसंदेह आपको गोविन्द जी के साथ भाव से जोड़ देगा और आपको मन में शांति और श्रद्धा का भाव पैदा करेगा तो आएंगे मेरे साथ इस कृष्णा के भोग को
आ…. आ ये प्रार्थना दिल की, बेकार नहीं होगी -4 पूरा है भरोसा, मेरी हार नहीं होगी-2 सांवरे… जब तूं मेरे साथ है। सांवरे…सर पे तेरा हाथ है-2 ★ विश्वास नानी का, द्रोपदी का रंग लाया -4 बहना…आ का भाई बन, खुद सांवरा आया -2 इज़्ज़त ज़माने में, शर्मशार नहीं होगी -2 पूरा है भरोसा,
कान्हा रे कान्हा तुझे किस ने है जाना इक मीरा ने जाना तुझे राधा ने जाना कान्हा रे कान्हा तुझे किस ने है जाना तूने गैयाँ चराई तूने माखन चुराया तूने जिसका भी खाया उस का भेभव बडाया ये सुदामा ने देखा जमाने ने जाना कान्हा रे कान्हा तुझे किस ने है जाना तूने रास
मन तड़पत हरि दर्शन को आज मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज विनती करत हूँ रखियो लाज ॥ मन तड़पत हरि…॥ तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी हमरी ओर नज़र कब होगी सुन मोरे व्याकुल मन का बात ॥ मन तड़पत हरि…॥ बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ दीजो दान हरी गुन गाऊँ सब गुनी
बांके बिहारी की देख छटा, मेरो मन है गयो लटा पटा। कब से खोजूं बनवारी को, बनवारी को, गिरिधारी को। कोई बता दे उसका पता, मेरो मन है गयो लटा पटा॥ मोर मुकुट श्यामल तन धारी, कर मुरली अधरन सजी प्यारी। कमर में बांदे पीला पटा, मेरो मन है गयो लटा पटा॥ पनिया भरन यमुना