नंद बाबाजी को छैया -2 वाको नाम है कन्हैया, कन्हैया कन्हैया रे .. बड़ो गेंद को खिलैया आयो आयो रे कन्हैया, कन्हैया कन्हैया रे.. काहे की गेंद है काहे का बल्ला गेंद मे काहे का लागा है छल्ला कौन ग्वाल ये खेलन आये खेलें ता ता थैया ओ भैया, कन्हैया कन्हैया रे .. रेशम की
हरि नाम सुमर सुखधाम, जगत में जिवना दो दिन का सुन्दर काया देख लुभाया, गरब करै तन का गिर गई देह बिखर गई काया, ज्यूँ माला मनका॥१॥ सुन्दर नारी लगै पियारी, मौज करै मनका। काल बली का लाग्या तमंचा, भूल जाय ठन का॥२॥ झूठ कपट कर माया जोड़ी, गरब करै धन का। सब ही छोड़कर
अधरों पे जा सजी है कन्हैया तेरी ये वंशी। ये तान दे निराली बजैया तेरी ये वंशी। हम सबको बाँधती है तेरी राह और डगर पे, अब मन नहीं है बस में बसैया तेरी ये वंशी।। ये प्रेम तो अमर है राधा किशन से जग में। सब लोग दिख रहे है इसमें मगन से जग
बनवारी रे बनवारी रे…. जीने का सहारा तेरा नाम रे मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे झूठी दुनिया झूठे बंधन, झूठी है ये माया झूठा साँस का आना जाना, झूठी है ये काया ओ, यहाँ साँचा तेरा नाम रे बनवारी रे … रंग में तेरे रंग गये गिरिधर, छोड़ दिया जग सारा बन गये
बाबा थारे रूप के आगे, माहने चंदा फीका लागे, श्याम रूप थारो दिल में समा गयो.. शीश मुकट की छटा निराली मोर पंख लहरावे जी काना कुण्डल लट नागन सी लम्बो तिलक लगावे से फूल खिले जोवन उपवन में जद बाबो मुश्कावे जी थारी अखियां जादू गारी मोटी मोटी कारी कारी श्याम रूप थारो.. सतरंगी
नख पर गिरिवर लीनो धार, कन्हैया मेरो बारो, कन्हैया मेरो बारो, कन्हैया मेरो बारो। नख पर गिरिवर लीनो धार, कन्हैया मेरो बारो ॥1॥ यूँ कहे यशोदा मैया, सब ज़ोर लगाओ भैया, अरी यह कैसे झेले भार, कन्हैया मेरो बारो, कन्हैया मेरो बारो,कन्हैया मेरो बारो। नख पर गिरिवर लीनो धार, कन्हैया मेरो बारो, कन्हैया मेरो बारो,
श्याम तेरा..आ, दर नहीं छूटे.., चाहे सारा..आ जग रूठे -3 प्रीत का धागा तुमसे बांधा, जन्म जन्म तक न टूटे श्याम तेरा..आ, दर नहीं छूटे.., चाहे सारा..आ जग रूठे रहमत बरसे, तेरी..इ श्याम, जब तक साँस है, लू तेरा नाम , लू तेरा नाम -2 छोड़ के आया सब की चौखट, अब है सहारा, खाटू
आओ आओ यशोदा के लाल आओ आओ यशोदा के लाल, आज मोहे दरशन से कर दो निहाल, आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल नैया हमारी भंवर मे फंसी, कब से अड़ी उबारो हरि, कहते हैं दीनों के तुम हो दयाल( २) आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल, अबतो सुनलो पुकार मेरे जीवन आधार,
टेर : रुकमणी जीमण दे मने, भक्तों का प्रशाद, प्रेम वाला भोजन ऐ मने, लगे बड़ा स्वाद।। काचे चावल मत ना खाओ, कर से कृपा निधान। कच्चे-कच्चे चावलों से पेट दुखेगा कहा मेरा ले मान।। रुकमणी जीमण दे…. धन्ने भगत की गउए चराई, बाजरे की रोटियां खाई। अपने भक्त के खेत बाजरी, बिना बीज निप