श्री पंचमुखी हनुमान, बिरद के बंका, शब्द के सांचा। जहाँ आप खड़े महाराज, असुर दल काँपा।। हाआ क्या सागर का गर्व करे ज्यान, कर ज्याऊँ फंका। भला हो रामा। कर ज्याऊँ फंका। म्हारे धणी का हुकम नहीं थारी, ले ज्यातो लंका।। ऐजी श्री पंचमुखी हनुमान, बिरद के बंका, शब्द के सांचा। जहाँ आप खड़े महाराज,