राधे तू बड़ भागिनी, कोन तपसिया किन। तीन लोग तारन तरन, सो तेरे हाथ हीन॥ एक ना त्यागे दुनियादारी वो मीरा कहलाई। दूजी राधा रानी बनके, श्याम सलोना पाई॥ मुझको भी तू अपनाले, मन वृंदावन बन जाए। मुझमे तू ही बस जाए, और मन तुझमे रम जाए॥ (ओ मेरे कान्हा) (जय जय राधा रमन हरी
ऐ री नैनन में श्याम समाए गयो, मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो॥ लुट जाउंगी श्याम तोरी लटकन पे, बिक जाउंगी श्याम तोरी मटकन पे, वो तो मधुर मधुर मुस्काय गयो, मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो। ऐ री नैनन में श्याम समाए गयो, मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो॥ मर जाउंगी श्याम तोरी नैनन
आज हरी आये, विदुर घर पावना॥ आज हरी आये, विदुर घर पावना॥ विदुर नहीं घर मैं विदुरानी ,आवत देख सारंग प्राणी । फूली अंग समावे न चिंता ॥ ,भोजन कंहा जिमावना ॥ केला बहुत प्रेम से लायीं, गिरी गिरी सब देत गिराई । छिलका देत श्याम मुख मांही ॥,लगे बहुत सुहावना, इतने में विदुरजी घर
तेरे द्वार खड़ा भगवान हो, तेरे द्वार खड़ा भगवान, भगत भर दे रे झोली।। तेरा होगा बड़ा एहसान, कि जुग जुग तेरी रहेगी शान, भगत भर दे रे झोली, तेरे द्वारे खड़ा भगवान, भगत भर दे रे झोली, ओ भगत भर दे रे झोली।। डोल उठी है सारी धरती देख रे, डोला गगन है सारा, भीख
एक दिन वो भोला भंडारी, बनकर सुन्दर नारी, गोकुल में आ गए हैं। पार्वती ने मना किया तो, ना माने त्रिपुरारी, बिरज में आ गए हैं।। ◾️पार्वती से बोले भोले, मैं भी चलूँगा तेरे संग मैं, राधा संग श्याम नाचे, मैं भी नाचूँगा तेरे संग में, रास रचेगा ब्रज मैं भारी, मुझे दिखाओ प्यारी, बिरज
जगत के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है। क्यों भटकूँ गैरों के दर पे तेरा दरबार काफी है॥ ◾️ नहीं चाहिए ये दुनियां के निराले रंग ढंग मुझको, निराले रंग ढंग मुझको चली जाऊँ मैं वृंदावन चली जाऊँ मैं वृंदावन तेरा श्रृंगार काफी है जगत के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है ◾️
कन्हैया ले चल परली पार, साँवरिया ले चल परली पार। जहां विराजे राधा रानी, अलबेली सरकार॥ विनती मेरी मान सनेही, तन मन है कुर्बान सनेही, कब से आस लिए बैठी हूँ, जग को बाँध किये बैठी हूँ, मैं तो तेरे संग चलूंगी। ले चल मुझको पार॥ साँवरिया ले चल परली पार… गुण अवगुण सब तेरे
तू कितनी अच्छी है, तू कितनी भोली है, प्यारी प्यारी है, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ। यह जो दुनिया है, वन है कांटो का, तू फुलवारी है, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ॥ ◾️ दुखन लागी हैं माँ तेरी अँखियाँ, मेरे लिए जागी है तू सारी सारी रतिया। मेरी निदिया
तुम हमारे थे प्रभुजी, तुम हमारे हो तुम हमारे ही रहोगे, हो मेरे प्रीतम॥ ◾️ हम तुम्हारे थे प्रभुजी, हम तुम्हारे हें हम तुम्हारे ही रहेंगे, ओ मेरे प्रीतम॥ ◾️ तुम्हें छोड़ सुन नन्द दुलारे कोई न मीत हमारो॥ किस्के दुआरे जाएँ पुकारूँ और न कोई सहारो ॥ अब तो आके बाहाँ पकड़ लो, ओ