टेर : बजरंग बलि मेरी नाव चली जरा बलि कृपा की लगा देना। मुझे रोग दोष ने घेर लिया मेरे पापों को नाथ मिटा देना, मैं दास तो आपका जन्म से हूँ बालक और शिष्य भी धर्म से हूँ। बजरंग बलि….. दुर्बल हूँ गरीब हूँ दीन हूँ मैं निज कर्म क्रिया मति छिण हूँ मैं,
टेर : हो रही जय जयकार बालाजी तेरे मंदिर में, उड़ रही लाल गुलाल बालाजी तेरे मंदिर में। भगत खड़े तोहे भजन सुनावे नाच नाच रमझोल मचावे , खुशियों के लगे अम्बार बालाजी तेरे मंदिर में। कोई मेवा पकवान चढ़ावे बार बार धन माल लुटावे, प्रशादी की बहार बालाजी तेरे मंदिर में। ध्वजा नारियल सवा
टेर : लहर लहर लहराए रे, झंडा बजरंग बली का। इस झंडे को हाथ में लेके, हाथ में लेके साथ में लेके, सिया सुधि ले आये रे, झंडा बजरंग बलि का। लहर-लहर…. इस झंडे को हाथ में लेके, हाथ में लेके साथ में लेके, अक्षय को मार गिराए रे, झंडा बजरंग बलि का। लहर-लहर…. इस
दोहा : जगमग ज्योत जगे नित तेरी हुआ अँधेरा नाश, भगतों के घर हुई रोशनी, मेरी भी पुरो आस। टेर : जलती रहे बजरंग बाला ज्योत तेरी जलती रहे। किसने ओ बाबा तेरा भवन बनाया किसने चवर झुलाया। ज्योत तेरी….. भगतों ने बाबा तेरा भवन बनाया सेवक चवर झुलाया ज्योत तेरी….. लाल सिंदूर बाबा अंग
दोहा : माया सगी न मन सगा सगा न ये संसार, परस राम या जीव का सगा वो सिरजन हार। टेर : भजमन राम चरण सुखदाई। जिन चरणन से निकली सुर सूरी शंकर जटा समाई जटा शंकरी नाम धरयो है त्रिभुवन तारन आई। भजमन…. जिन चरन की चरनन पादुका भरत रहे मन लाई सोई चरण
टेर : सालासर वाला हरियो विघन सब दूर। सालासर तेरा भवन बिराजे झालर शंख नगाड़ा बाजे, नित उठ थारे नोपत बाजे तन पर चढ़त घृत सिंदूर। सालासर वाला…. तुम हनुमंता हो रण मंडल मोटे मोटे पांव बड़े भुज दंडल, दुष्टों को मार के कर दिया खंडन कर दिया चकना चूर। सालासर वाला…. रामचंद्र के सारे
टेर : ल्यादे ल्यादे रे अंजनी माई का लाल, लछमन खातर सरजीवन जड़ी। द्रोणाचल पर वेद बताई सरजीवन की बेल और किसी की ताकत कोणी थारो होसी खेल भाई लछमन का बिगड़ गया हाल म्हारे सिरपे संकट की घड़ी। ल्यादे ल्यादे रे…… पहले वन में नारी खोई फिर खो दीन्हा भ्रात क्या कृ में हनुमंत
टेर : मेरा जीवन धन हनुमान शरणों थारो लियो। मैं टाबर हूँ अनजान शरणों थारो लियो।। आफत मेरी टाळ्या सरसी तेरे बिन कुण पीड़ा हरसी, दुविधा में हे ज्यान शरणों थारो लियो। मेरा जीवन धन…… तेरे बल का पार नहीं है तुझ बिन कोई आधार नहीं है, मान मान शरणों थारो लियो। मेरा जीवन धन……
दोहा : शरण में आया आपकी महावीर बलदाई, माँ अंजना के कँवर लाड़ले नित उठ लाड़ लड़ाई। टेर : श्री बालाजी ने लाड़ लड़ावे माता अंजना, न्हाय धोय कस्यो लाल लगोटों, रामजी का पाठ पढ़ावे माता अंजना। श्री बालाजी ने…… सवा सवा मण का रोट चूरकर, श्री बालाजी के भोग लगावे माता अंजना। श्री बालाजी