बजरंग की झांकी है अपार सजा है दरबार भजन हम गाएंगे श्लोक – लाल लंगोटा हाथ में सोटा झांकी अपरम्पार रूप अनोखा आज सजा है बोलो जय जयकार।बजरंग की झांकी है अपार सजा है दरबार भजन हम गाएंगे बाबा की झांकी है अपार हनुमत की झांकी है अपार सजा है दरबार भजन हम गाएंगे।। राम
प्यारे हनुमान बाला का घर है निराला यहाँ जिसने भी अलख जगाई उसने मन की मुरादे है पाई उसने मन की मुरादे है पाई प्यारे हनुमान बाला का घर है निराला।। आस्था के फूलों की जो माला पहनाएंगे उनकी राहों के कांटे फूल बन जाएंगे भूल के जहान सारा जिसने यहाँ पर शुद्ध भावना की
ना स्वर है ना सरगम है ना लय न तराना है हनुमान के चरणो में एक फूल चढ़ाना है।। तुम बाल समय में प्रभु सूरज को निगल डाले अभिमानी सुरपति के सब दर्प मसल डाले बजरंग हुए तब से संसार ने जाना है ना स्वर है ना सरगम हैं ना लय न तराना है।। सब
देता है वो राम का, कदम कदम पर साथ, रहे उसके सर पर हरदम-2, श्री राम प्रभु का हाथ, देता है वो राम का, कदम कदम पर साथ।। जहां जहां श्री राम चलेंगे, वहां वहां हनुमान जी, जैसे जैसे राम कहेंगे, वो ही करेंगे हनुमान जी, प्रभु श्री राम की देखो-2, माने वो सारी बात,
दुनिया रचने वाले को भगवान कहते हैं संकट हरने वाले को हनुमान कहते हैं।। हो जाते है जिसके अपने पराये हनुमान उसको कंठ लगाये जब रूठ जाये संसार सारा बजरंगबली तब देते सहारा अपने भक्तो का बजरंगी मान करते है संकट हरने वाले को हनुमान कहते हैं।। दुनिया में काम कोई ऐसा नहीं है हनुमान
दुनिया चले ना श्री राम के बिना राम जी चले ना हनुमान के बिना।। सीता हरण की कहानी सुनो बनवारी मेरी जुबानी सुनो सीता मिले ना श्री राम के बिना पता चले ना हनुमान के बिना ये दुनिया चले ना श्री राम के बिना राम जी चले ना हनुमान के बिना।। लक्ष्मण का बचना मुश्किल
लाल देह लाली लसे ,अरूधर लाल लंगूर। वज्र देह दानव दलन , जय जय कपि सुर। झालर शंख नगाड़ा बाजे रे, सालासर रा मंदिर में, हनुमान विराजे रे-२ हनुमान विराजे रे, बलि बजरंग विराजे रे। भारत राजस्थान में, सालासर एक धाम। सूरज सामी बनियो देवरो, बालाजी रो धाम। जारे लाल ध्वजा लहरावे रे, सालासर रा
मंगल मूर्ति राम दुलारे, आन पड़ा अब तेरे द्वारे, हे बजरंगबली हनुमान, हे महावीर करो कल्याण, हे महावीर करो कल्याण। तीनो लोक तेरा उजियारा, दुखियों का तूने काज संवारा, तीनो लोक तेरा उजियारा, दुखियों का तूने काज संवारा, हे जगवंदन केसरी नंदन, हे जगवंदन केसरी नंदन, कष्ट हरो हे कृपा निधान, कष्ट हरो हे कृपा