बैठ अकेला दो घडी, कभी ईश्वर तो ध्याया कर, मन मंदिर में गाफ़िला, तूं झाड़ू रोज लगाया कर। सोने में तो रेन गंवाई, दिन भर करता पाप रहा मोह माया में फंस कर बन्दे, धोखे में तूँ आप रहा सुबह सवेरे उठ प्रेमिया, सत्संग में नित आया कर मन मंदिर में… बारम्बार जन्म का पाना,