गौरी के नंदन की, हम पूजा करते है, हम पूजा करते है, हम वंदन करते है, गौरी के नंदन की, हम पूजा करते है।। शुभ कारज से पहले, तेरा ध्यान जो धरते है, कोई संकट आए तो, तुम रक्षा करते हो, इस संकट हारे की, हम पूजा करते है, गौरी के नन्दन की, हम पूजा
गौरा माँ के लाल तेरी जय होवे, जय होवे तेरी जय होवे, जय होवे तेरी जय होवे, गौरा माँ के लाल तेरी जय होवे।। जगमग जगमग करता मंदर, जगमग जगमग करता मंदर, रहते हो प्रभु जिसके अंदर, रूप है तेरा विशाल, तेरी जय होवे, गौरा माँ के लाल तेरी जय होवे।। ब्रम्हा विष्णु और शिव
गूँजे गली गूँजे गली खिली हर कली गणपति बप्पा मौर्या गूँजे गली खिली हर कली गणपति बप्पा मौर्या गूँजे गली खिली हर कली गणपति बप्पा मौर्या ये मूर्ति भली मूर्ति भली खिली मन कली मंगल मूर्ति मौर्या गूँजे गली खिली हर कली गणपति बप्पा मौर्या गूँजे गली खिली हर कली गणपति बप्पा मौर्या जय जय
गिरिजानंदन शिव के दुलारे रिद्धि सिद्धि के दाता प्रथम पूज्य हो तुम देवो में कार्तिकेय के भ्राता गिरिजानंदन शिव के दुलारे रिद्धि सिद्धि के दाता प्रथम पूज्य हो तुम देवो में कार्तिकेय के भ्राता एक बार शंकर से पूछा पुत्रो ने भरमाये प्रथम पूज्य कौन है सुरो में हमको बताये कथा है इसकी बड़ी निराली
गणराज विनायक आओ, म्हारी सभा में रंग बरसाओ, महाराज विनायक आओ, म्हारी सभा में रंग बरसाओ।। रणत भवन से आवो नी गजानन, संग में रिद्धि सिद्धि ल्यावो, महाराज विनायक आओ, म्हारी सभा में रंग बरसाओ। गणराज विनायक आवो, म्हारी सभा में रंग बरसाओ, महाराज विनायक आओ, म्हारी सभा में रंग बरसाओ।। ब्रम्हा जी आवो देवा
जय जय गणपति जय गणपति जय गणेश जय गणपति जय जय जय गणेश जय गणपति जय जय जय गणेश जय गणपति जय जय जय गणेश जय गणपति जय जय गणपति विघ्न विनाशन हरे गणपति विघ्न विनाशन हरे गणपति विघ्न विनाशन हरे गणपति विघ्न विनाशन हरे जय जय गणपति जय गणपति जय गणेश जय गणपति जय
गणपति रखो मेरी लाज पुराण कीजो मेरे काज गणपति रखो मेरी लाज पुराण कीजो मेरे काज तू भक्तो का प्यारा है सबका पालन हार है सुख दयाक भाये हरी तू करता मूषक सवारी तू तू ही विघ्न विनाशक है दीं जानो का रक्षक है तेरा ही हम नाम जापे तुझको हम प्रणाम करे सदा रहे
गणपति पधारो ताता थैया करते, ताता थैया करते, ठुमक ठुमक पग धरते, गणपति पधारो ताता थैया करते, आप के पधारने से बिगड़े काम संवरते, गणपति पधारो ताता थैया करते।। केवड़ा गुलाब जल से, खूब धोया आंगणा, चन्दन की चौकी ऊपर, मखमल का बिछोना, पार्वती लाला आकर, आसन लगाइये, रिद्धि और सिद्धि को भी, संग लेकर