झूला झूले हो गजानंद झुलना, झूले झूले हो गजानंद झुलना।। काहे की डाली पे झूला बंधाये, झूला बंधाये, झूला बंधाये, काहे के लागे पालना, झूले झूले हो गजानंद झुलना।। पीपल की डाली पे झूला बंधाये, झूला बंधाये, झूला बंधाये, चंदन के लागे हो पालना, झूले झूले हो गजानंद झुलना।। काहे की पलने में डोर लगाए,
जय हो गणपति जय हो गणपति पूजे तुम्हे देवता सभी जय हो गणपति जय हो गणपति शिव के दुलारे जग से न्यारे पारवती माँ की अँखियो के तारे हम तेरी उतारे आरती जय हो जय हो गणपति गणपति गजमुख धरी मूषक की सवारी सिद्धि बुद्धि खडी सेवा में तुम्हारी तेरा अंश है शुभ लाभ भी
जय गणेश जय महादेवा जय गणेश जय महादेवा जीने का सबक सीखा सांई के फकिरों से तक़दीर झलकती है हाथों की लकीरों से। कह दिया कह दिया कह दिया, कह दिया कह दिया कह दिया, मेने मेरे दिल जो था वो सब कह दिया। तू है मेरा पिया तू है मेरा पिया, तू है मेरा
घुमतड़ा घर आवो, ओ म्हारा प्यारा गजानन, खेलतड़ा घर आवो, ओ म्हारा प्यारा गजानन।। ब्रम्हा पधारो विष्णु पधारो देवा, संग में ले आना सरस्वती को, ओ म्हारा प्यारा गजानन, घुमतड़ा घर आवों, ओ म्हारा प्यारा गजानन।। राम पधारो लक्ष्मण पधारो देवा, संग में ले आना सीता सती को, ओ म्हारा प्यारा गजानन, घुमतड़ा घर आवों,
घर मे पधारौ गजानँद जी मेरे घर मे पधारौ, रिध्धी सिध्धी लेके आओ गणराजा, मेरे घर मे पधारौ॥॥ राम जी आना लक्ष्मण जी आना, संग मे लाना सीता मैया, मेरे घर मे पधारौ॥॥ ब्रम्हा जी आना विष्णु जी आना, भोले शंकर को ले आना, मेरे घर मे पधारौ॥॥ लक्ष्मी जी आना गौरी जी आना, सरस्वती मैया को ले आना, मेरे घर
गौरी सूत शंकर लाल, विनायक मेरी अरज सुनो, बैठा भागवत महा पूराण, विनायक मेरी अरज सुनो, गौरी सुत शंकर लाल, विनायक मेरी अरज सुनो।। सब देवन मे आप बड़े हो, तुमको प्रथम मनावे, घर मे गणपति सदा बिराजे, कारज शुभ करावे, संग रिद्धि सिद्धि, संग रिद्धि सिद्धि आओ आज, विनायक मेरी अरज सुनो, गौरी सुत
गौरी के लाल सुनो, की कबसे तुझे याद करे, कीर्तन में आ जाओ, हाय कीर्तन में आ जाओ, ये तुमसे फरियाद करे, गौरी के लाल सुनो, की कबसे तुझे याद करे।। तुझको मनाऊँ देवा, कबसे बुलाऊँ, अपनी पलके बिछाऊँ, अब तो आजा, गिरिजा के प्यारे, बाबा शिव के दुलारे, आजा तुझको पुकारे गणराजा, तुम बिन
गौरी के लाड़ले, महिमा तेरी महान, करता है सबसे पहले, पूजा तेरी जहान, गौरी के लाड़ले, महिमा तेरी महान।। चंदन चौकी पे बिराजे, दाता गजशिश धारी, शीश स्वर्ण मुकुट, गले मोतियन माला प्यारी, रिद्धि सिद्धि अंग संग, छवि सबसे है न्यारी, भोग लड्डुवन का लगे, करे मूसे की सवारी, पुरे हो काम तब ही, पहले
– श्लोक – गजानंद आनंद करो, दो सुख सम्पति में शीश, दुश्मन को सज्जन करो, निवत जिमावा खीर। सदा भवानी दाहिनी, सनमुख रहत गणेश, पाँच देव रक्षा करे, ब्रम्हा विष्णु महेश। विघ्न हरण मंगल करण, गणनायक गणराज, रिद्धि सिद्धि सहित पधारजो, म्हारा पूरण कर जो काज।। गौरी के नंदा गजानन, गौरी के नन्दा, म्हने बुद्धि