साई के चरणों को छूकर, पवन सुहानी आई है, लगता शिरडी से मेरा संदेसा वो लाई है, बुलावा आया है, साईं ने बुलाया है। इस माटी के कण कण में मेरे साईं राम बसे हैं, उस शिरडी के दर्शन को कब से, ये नैना तरसे हैं, साईं नाम की कब से मैंने, मन में जोत