मनमोहना….मनमोहना… कान्हा सुनो ना… तुम बिन पाऊं कैसे चैन… तरसूं तुम्ही को दिन रेन.. छोड़ के अपने काशी- मथुरा आके बसो मोरे नैन यौम बिन पाऊं कैसे चैन…कान्हा… तरसूं तुम्ही को दिन- रैन इक पल उजियारा आये, इक पल अँधियारा छाये, मन क्यूं ना घबराये, कैसे ना घबराये.. मन जो कोई गाना हाँ अपनी राहों