दोहा: राम नाम रटते रहो, जब तक घट में प्राण। कभी तो दीन दयाल के भनक पड़ेगी कान॥ ◾️ राम रमैया गाए जा राम से लगन लगाए जा। राम ही तारे राम उभरे, राम नाम दोहराए जा॥ ◾️ सुबह यहाँ तो श्याम वहां है, राम बिना आराम कहाँ है। राम रमैया गाये जा, प्रभु से
भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं कपि से उरिन हम नाहीं भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं ◾️ सौ योजन, मर्याद समुद्र की ये कूदी गयो छन माहीं लंका जारी,सिया सुधि लायो पर गर्व नहीं मन माहीं कपि से उरिन हम नाहीं भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं ◾️ शक्तिबाण, लग्यो लछमन
प्रेम मुदित मन से कहो राम राम राम, राम राम राम, श्री राम राम राम। पाप कटें दुःख मिटें लेत राम नाम। भव समुद्र सुखद नाव एक राम नाम॥ ◾️ परम शांति सुख निधान नित्य राम नाम। निराधार को आधार एक राम नाम॥ ◾️ संत हृदय सदा बसत एक राम नाम। परम गोप्य परम इष्ट
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी जाकी अंग-अंग बास समानी (इस भजन में भक्त ने भगवान के साथ ऐसे सुन्दर-सुन्दर सम्बन्ध जोड़े है की, न तो भक्त भगवान से दूर रह सकते है, और ना ही भगवान भक्त से दूर रह सकते है।) ◾️ प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा जैसे चितवत चंद चकोरा
प्रेम की अगन हो,भक्ति सघन हो, मन में लगन हो तो,प्रभु मिल जाएंगे॥ ◾️ हृदय में भाव हो,अनुनय की छांव हो॥ आराधन का गांव हो,तो मन खिल जाएंगे॥ प्रेम की अगन हो……………….. ◾️ श्रद्धा की जोत हो,मैन में ना खोट हो॥ करुणा का स्रोत हो,तो प्रभु श्री आएंगे॥ प्रेम की अगन हो……………….. ◾️ चरणों की
दुःख सुख दोनो कुछ पल के कब आये कब जाये दुःख है ढलते सूरज जैसा शाम ढले ढल जाये दुःख सुख दोनो कुछ पल के कब आये कब जाये दुःख है ढलते सूरज जैसा शाम ढले ढल जाये हो.. शाम ढले ढल जाये दुःख तो हर प्राणी को होय राम ने भी दुःख झेला धैर्य
दोहा: राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट। अंत समय पछतायेगा, जब प्राण जायेंगे छूट॥ तेरे मन में राम, तन में राम, रोम रोम में राम रे, राम सुमीर ले, ध्यान लगाले, छोड़ जगत के काम रे। बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम॥ माया में तू उलझा उलझा धर धर धुल
तू दयाल, दीन हौं, तू दानी, हौं भिखारी। हौं प्रसिद्ध पातकी, तू पाप पुंज हारी॥ नाथ तू अनाथ को, अनाथ कौन मोसो। मो सामान आरत नाही, आरती हर तोसो॥ ब्रह्मा तू, जीव हौं, तू ठाकुर, हौं चेरो। तात मात गुरु सखा, तू सब विधि ही मेरो॥ तोही मोहि नाते अनेक, मानिए जो भावे। ज्यो त्यों
क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी, अब तक के सारे अपराध धो डालो तन की चादर को, लगे है उसमे जो भी दाग क्षमा करो.. तुम तो प्रभुजी मानसरोवर, अमृत जल से भरे हुए पारस तुम हो, इक लोहा मै, कंचन होवे जो ही छुवे तज के जग की सारी माया, तुमसे कर लू मै अनुराग
बृज में आनंद भयो, जय यशोदा लाल की। हाथी घोडा पालकी, जय कन्हैया लाल की॥(2) जय हो नंदलाल की, जय यशोदा लाल की। गोकुल में आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की॥(2) हे आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल की। नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की॥(2) आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल