जल रही है राह का बन कर दिया जाने कितनी रातो से तेरी सिया खो के बैठी खुद में तुमको राम जी अपनी खातिर तो मैं हूँ बस नाम की आँखे मेरी रात दिन बरसा करे इक झलक पाने को बस तरसा करे काली रातो की सुभह भी आएगी एक दिन जीवन में खुशिया छायेंगी