रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया। रघुकुल नंदन कब आओगे, भिलनी की डगरिया॥ मैं शबरी भिलनी की जाई, भजन भाव ना जानु रे। राम तेरे दर्शन के कारण, वन में जीवन पालूं रे। ◾️ चरणकमल से निर्मल करदो, दासी की झोपड़िया॥ रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया। रघुकुल नंदन कब आओगे, भिलनी की