आरती देवी अन्नपूर्णा जी की बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम। जो नहीं ध्यावै तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम। अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम॥ ॥ बारम्बार प्रणाम ॥ प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम। सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम॥ ॥ बारम्बार प्रणाम ॥ चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारु
जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता। जय जय तुलसी माता। सब योगों के ऊपर, सब लोगों के ऊपर, रुज से रक्षा करके भव त्राता। जय जय तुलसी माता। बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या, विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता। जय जय तुलसी माता। हरि के शीश विराजत
ॐ जय श्री श्याम हरे,बाबा जय श्री श्याम हरे। खाटू धाम विराजत,अनुपम रूप धरे॥ ॐ जय श्री श्याम हरे॥ रतन जड़ित सिंहासन,सिर पर चंवर ढुरे। तन केसरिया बागो,कुण्डल श्रवण पड़े॥ ॐ जय श्री श्याम हरे॥ गल पुष्पों की माला,सिर पर मुकुट धरे। खेवत धूप अग्नि पर,दीपक ज्योति जले॥ ॐ जय श्री श्याम हरे॥ मोदक खीर
जय जय श्री बगलामुखी माता,आरति करहुँ तुम्हारी। जय जय श्री बगलामुखी माता,आरति करहुँ तुम्हारी। पीत वसन तन पर तव सोहै,कुण्डल की छबि न्यारी॥ कर-कमलों में मुद्गर धारै,अस्तुति करहिं सकल नर-नारी॥ जय जय श्री बगलामुखी माता…। चम्पक माल गले लहरावे,सुर नर मुनि जय जयति उचारी॥ त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब,भक्ति सदा तव है सुखकारी॥ जय
जय शीतला माता,मैया जय शीतला माता। आदि ज्योति महारानीसब फल की दाता॥ ॐ जय शीतला माता…। रतन सिंहासन शोभित,श्वेत छत्र भाता। ऋद्धि-सिद्धि चँवर डोलावें,जगमग छवि छाता॥ ॐ जय शीतला माता…। विष्णु सेवत ठाढ़े,सेवें शिव धाता। वेद पुराण वरणतपार नहीं पाता॥ ॐ जय शीतला माता…। इन्द्र मृदङ्ग बजावतचन्द्र वीणा हाथा। सूरज ताल बजावैनारद मुनि गाता॥ ॐ
मंगल की सेवा, सुन मेरी देवाहाथ जोड़, तेरे द्वार खड़े। पान सुपारी, ध्वजा, नारियल,ले ज्वाला तेरी भेंट धरे॥ मंगल की सेवा सुन मेरी देवा। सुन जगदम्बे, कर न विलम्बेसंतन के भण्डार भरे। संतन-प्रतिपाली, सदा खुशहाली,मैया जै काली कल्याण करे॥ मंगल की सेवा सुन मेरी देवा। बुद्धि विधाता, तू जग माता,मेरा कारज सिद्ध करे। चरण कमल
अम्बे तू है जगदम्बे काली,जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती,ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥ तेरे भक्त जनो पर माताभीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पड़ो माँकरके सिंह सवारी॥ सौ-सौ सिहों से बलशाली,है अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती। ओ
ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशिदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥ उमा, रमा, ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता। सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥ दुर्गा रुप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता। जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥ तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता। कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥