February 24, 2022
मानव तू है मुसाफिर, दुनिया है धर्मशाला
Manav Tu Hai Musafir
♡
Singer(गायक): Rajan Ji
मानव तू है मुसाफिर, दुनिया है धर्मशाला,
संसार क्या है सपना, वो भी अजब निराला॥
ये रेन है बसेरा, है किराये का ये डेरा,
उसमें फसा है ये फेरा, ये तेरा है ये मेरा॥
शीशे को मान बैठा, तू मोतियों की माला,
संसार क्या है सपना, वो भी अजब निराला,
मानव तू है मुसाफिर, दुनिया तो है धर्मशाला॥
जन्मों का पुण्य संचित नर देह तूने पाया,
कंचन और कामिनी ने, इसे व्यर्थ ही गवाया।
कौड़ी के मोल तूने, हीरे को बेच डाला,
संसार क्या है सपना, वो भी अजब निराला,
मानव तू है मुसाफिर, दुनिया तो है धर्मशाला॥
नश्वर है तन का ढांचा, बालू की भीत काचा,
ऋषियों ने परखा जांचा, बस राम नाम सांचा।
झटके तू पी शिकारी, सिया राम नाम प्याला,
संसार क्या है सपना, वो भी अजब निराला।
मानव तू है मुसाफिर, दुनिया तो है धर्मशाला॥