भजले मन मेरा शंकर दीनदयाल, शीश ऊपर बहती,✓ Lyrics Verified
Bhajle Man Mera Shankar Dindayal.
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Singer(गायक): Suraj Narayan Swami
टेर : भजले मन मेरा शंकर दीनदयाल ।
शीश ऊपर बहती, जिनके गंगाजी की धार है,
मारती हिलोरे नर, नैया बेडा पार है
गले बीच शेष सोहे, सर्पों का हर है
भस्मी रमावे शिव, गले मुंड माल है
डमरू बजावे भोला, बैल पर असवार है
बाएं अंग पार्वती शोभा, अपमम्पार है।
सच्चा तो सुनता सवाल
क्रोध भये जब शिव भोले ने, कामदेव को जित लिया
मैहर भई रावण के ऊपर, लंका का सरदार किया
क्रोध भये है नार सति पे, पिता का यज्ञ बिसर दिया
मेहर भई गिरजा के ऊपर, ब्याह गले का हार दिया
भस्मासुर को दान दे दिया, मन में न विचार किया
भाग चला दानव के आगे, विष्णु का बेड़ा पार किया
पल में तो कर दे निहाल
योगी होके योग साधे, रामचंद्र गुण गाय रहा
तीन लोक का करता धरता, भेद नहीं कोई पाये रहा
अन्तर्यामी शिव शंकर के, चारों वेद यश गा रहा
त्रिलोकी के बीच भोला, डमरू बजाये रहा
नशे के बीच मतवाला, भांग धतूरा खाये रहा
ढोलक मंजीरा बाजे, झालर को झनकाय रहा
सिया राम का दे जयकारा आनंद सा बरसाय रहा
अनुत विप्र सभा बीच में शिव की लीला गाये रहा।
मिलता है धन माल