रमक झमक कर आवो गजानन

श्लोक – सदा भवानी दाहिनी, सनमुख रहे गणेश, पांच देव रक्षा करे, ब्रम्हा विष्णु महेश।। रमक झमक कर आवो गजानन, रमक-झमक कर आवो गजानन।। आप भी आवो देवा रिद्धि रिद्धि लावो, आप भी आवो देवा रिद्धि सिद्धि लावो, सभा में रंग बरसावो गजानन, रमक-झमक कर आवो गजानन।। सूंड सूंडालो बाबो दुंद दूंदालो, सूंड सूंडालो बाबो

रणत भंवर से आओ हे रिद्धि सिद्धि रा भरतार

रणत भंवर से आओ, हे रिद्धि सिद्धि रा भरतार, संकट हारी हो रही थारी, जग में जय जयकार, रणत भंवर से आओ।। माँ जगदम्बा अम्बा, लाढ़ लढायो, पालने झुलायो थाने, गोद में खिलायो, शिव शंकर भोले को, है पायो प्यार दुलार, संकट हारी हो रही थारी, जग में जय जयकार, रणत भंवर से आओ।। रणत

रख लाज मेरी गणपति

रख लाज मेरी गणपति, अपनी शरण में लीजिए। कर आज मंगल गणपति, अपनी कृपा अब कीजिए॥ रख लाज मेरी गणपति रख लाज मेरी गणपति सिद्धि विनायक दुःख हरण, संताप हारी सुख करण। करूँ प्रार्थना मैं नित्त प्रति, वरदान मंगल दीजिए॥ रख लाज मेरी गणपति, अपनी शरण में लीजिए। कर आज मंगल गणपति, अपनी कृपा अब

म्हारे घर में पधारो प्यारा गणपतजी

विघ्नहरण मंगल करन गौरी सुत गणराज मैं लियो आसरो आपको तो प्रभु रख्यो माहरी लाज म्हारे घर में पधारो प्यारा गनपतजी म्हारे आंगणे पधारो प्यारा गजानंदजी गनपतजी ओ प्यारा गजानंदजी म्हारे घर में पधारो प्यारा गनपतजी म्हारे आंगणे पधारो प्यारा गजानंदजी शिव शंकर को राज दुलारो पार्वती को प्यारो सबसे पहला सुमुरुन थाणे हरदो विघ्न

म्हारा कीर्तन मे रस बरसाओ

म्हारा कीर्तन मे रस बरसाओ बरसाओ आओ जी गजानन आओ। म्हारा कीर्तन मे रस बरसाओ बरसाओ आओ जी गजानन आओ। ॐ गण गणपतये नमो नमः श्री सिद्धिविनायक नमो नमः अष्टविनायक नमो नमः गणपती बाप्पा मोरया रणत भंवर से आओ जी गजानन रिद्धि सिद्धि ने संग प्रभु लाओ। आओ जी गजानन आओ पार्वती के पुत्र गजानन,

मैं मनावा तेरा लाड़ला गणेश

मैं मनावा तेरा लाड़ला गणेश, मैं मनावा, मैं मनावा, मैं मनावा तेरा लाड़ला गणेश, जिसके सुमिरण से जग वालों, कट जाए सभी कलेश, मैं मनावा तेरा लाड़ला गणेश।। किस लाड़ली ने तोहे, जनम है दीन्हा, किसने दियो उपदेश, ओ लाला, किसने दियो उपदेश, मै मनावा तेरा लाड़ला गणेश, जिसके सुमिरण से जग वालों, कट जाए

मैं थाने सिवरू गजानन देवा

मैं थाने सिवरू गजानन देवा, वचनों रा पालनहारा जी ओ।। श्लोक – सुंडाला दुःख भंजना, सदा जो वालक वेश, सारों पहले सुमरिये, गवरी नन्द गणेश। मैं थाने सिवरू गजानन देवा, वचनों रा पालनहारा जी ओ, सरस्वती मात शारदा ने सिवरू, हिरदे करो नी उजियाला जी ओ, निन्दरा निवारू भोलेनाथ ने, निन्दरा निवारू भोलेनाथ ने।। जननी

मेरे हृदये करो परवेश जी तेरी जय जय जय हो गणेश जी

मेरे हृदये करो परवेश जी, मेरे काटो सकल कलेश जी। श्लोक – पहले गणपति पूज के, पाछे करिये काज, विच सभा दे बेठियाँ, मेरी पत रखियो महाराज। मेरे हृदये करो परवेश जी, हृदये करो परवेश जी, मेरे काटो सकल कलेश जी, मेरे काटो सकल कलेश जी, तेरी जय जय जय हो गणेश जी, तेरी जय

मेरे सारे पलछिन सारे दिन

मेरे सारे पलछिन सारे दिन तरसेंगे सुन ले तेरे बिन तुझको फिर से जलवा दिखाना ही होगा अगले बरस आना है, आना ही होगा तुझको फिर से जलवा दिखाना ही होगा अगले बरस आना है, आना ही होगा देखेंगी तेरी राहे, प्यासी प्यासी निगाहे तो मान ले, तू मान भी ले तू कहना मेरा लौट

मेरे मन मंदिर में तुम भगवान रहे

मेरे मन मंदिर में तुम भगवान रहे, मेरे दुःख से तुम कैसे अनजान रहे।। मेरे घर में कितने दिन मेहमान रहे, मेरे दुःख से तुम कैसे अनजान रहे।। गणपती बाप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ। कितनी उम्मीदे बंध जाती है तुम से, तुम जब आते हो, अब के बरस देखे क्या दे जाते हो,