हुई गलियों में जय जयकार, आया गणपति तेरा त्यौहार।। नाची मन में उमंग, भरा खुशियों ने रंग, नाची मन में उमंग, भरा खुशियों ने रंग, गूंजी गणपति तेरी जयकार, आया गणपति तेरा त्यौहार, हुई गलियों में जय जयकार, आया गणपति तेरा त्यौहार।। ऊँचा आसान सजाएं, तुम्हे घर में बिठाएं, ऊँचा आसान सजाएं, तुम्हे घर में
हम नैन बिछाए है, हे गणपति आ जाओ।। गणपति तुम हो बड़े दयालु, किरपा कर दो हे किरपालु, हर सांस बुलाए है, हे गणपति आ जाओ, हम नैन बिछाए, हे गणपति आ जाओ।। पाप की गठरी सर पे भारी, हम को है बस आस तुम्हारी, बड़ा मन घबराए है, हे गणपति आ जाओ, हम नैन
सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ, गौरी सूत महाराज, तुम हो देवों के सरताज। दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला, मस्तक मोटा कान, तुम हो देवों के सरताज। – श्लोक – प्रथमे गौरा जी को वंदना, द्वितीये आदि गणेश, त्रितिये सीमरु शारदा, मेरे कण्ठ करो प्रवेश॥ सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ, गौरी सूत महाराज, तुम हो देवों के सरताज। दूंद
सब देवो से पहले तुमको पूजू मैं मिथलेश हे शिव नंदन सुख बरसाओ काटो विघ्न कलेश काटो विघ्न कलेश जय गणेश जय जय गणेश जय जय गणेश बोलो आएंगे अखिलेश अपने मन के द्वार खोलो जय गणेश जय जय गणेश जय जय गणेश बोलो आएंगे अखिलेश अपने मन के द्वार खोलो हे गणपति महाराज सांवरो
श्री गणपति दीनदयाला, बुद्धि को देने वाला, बुद्धि को देने वाला, बुद्धि को देने वाला, श्री गणपति दीनदयाला, बुद्धि को देने वाला।। हम गंगा तट पर जाएँ, और गंगा जल भर लाएँ, हम गंगा तट पर जाएँ, और गंगा जल भर लाएँ, गणपति को जल हम चढ़ाए, बुद्धि को देने वाला, श्री गणपति दीन-दयाला, बुद्धि
शिवनंदन दीनदयाल हो तुम, गणराज तुम्हारी जय होवे, गणराज तुम्हारी जय होवे, महाराज तुम्हारी जय होवे, शिव नंदन दीन दयाल हो तुम, गणराज तुम्हारी जय होवे।। इक छत्र तुम्हारे सिर सोहे, एकदंत तुम्हारा मन मोहे, शुभ लाभ सभी के दाता हो, गणराज तुम्हारी जय होवे, शिव नंदन दीन दयाल हो तुम, गणराज तुम्हारी जय होवे।।
मैं तो जपु सदा तेरा नाम, विनायक दया करो।। द्वार खड़े है भक्त तुम्हारे, अपनी दया के खोलो द्वारे, पूरण हो सब काम, विनायक दया करो।। भजन कीर्तन गाउँ में तेरा, नित उठ ध्यान में ध्याऊँ तेरा, हे प्रथम पूज्य भगवान, विनायक दया करो।। साधु संत की संगती देना, नाम अपने की रंगती देना, हे गौरीसुत
वन्दे गणपति विघ्नविनाशन…4 हे लम्बोदर गजानना रिद्धि सीधी के दाता तुम हो…4 वन्दे गणपति विघ्नविनाशन…2 हे लम्बोदर गजानना हे लम्बोदर गजानना जो ध्यावे वंचित फल पावे..4 आगरा देव तुम्हे वन्दना..2 वन्दे गणपति विघ्नविनाशन…2 हे लम्बोदर गजानना रिद्धि सीधी के दाता तुम हो हे शशि शेखर नंदना वन्दे गणपति विघ्नविनाशन…2 हे लम्बोदर गजानना काम क्रोध मध्
लाल माँ गौरी के, लाल शिव शंकर के, घर में पधारो आज, दर्श प्रभु दे जाओ, की मंगल कर जाओ, सुन लो मेरी अरदास, लाल माँ गौरी के, लाल माँ गौरी के।। मेरे घर आज है मंगल कारज, आना जरूर गणराज रे, रिद्धि सिद्धि लाना, गौरी माँ को लाना, भूल ना जाना महाराज रे, पहले
श्लोक -: सारी चिंता छोड़ दो, चिंतामण के द्वार, बिगड़ी बनायेंगे वही, विनती कर स्वीकार, बड़े बड़े कारज सभी, पल मे करे साकार, बड़े गणपति का है साथ, सच्चा ये दरबार, सिध्द हो हर कामना, सिध्दिविनायक धाम, खजराना मे आन बसे मेरे, शिव गौरी के लाल॥ रिध्दि सिध्धि के दाता सुनो गणपति, आपकी मेहरबानी हमें