महावीर तुम्हारे द्वारे पर एक दास भिखारी आया है। प्रभु दर्शन भिक्षा पाने को, दो नयन कटोरे लाया है।। नहीं दुनिया में कोई मेरा है, आफत ने मुझे घेरा है। जग ने मुझको ठुकराया है, बस एक सहारा तेरा है।। महावीर तुम्हारे द्वारे…. मेरी बीच भंवर में नैया है, एक तू ही पर लगैया है।
गणपति को प्रथम मनाने की, देवों ने रीत चलाई है। तीनों लोको में छोटे-बड़े, सब करते इनकी बड़ाई है।। जो काम सभी करते आये, हमको भी वही दोहराना है। गणपति को प्रथम मनाना है…. कोई घृत सिंदूर चढ़ाते हैं, कोई लड्डूवन भोग लगते हैँ।। कोई मेवा थाल सजाते है, कोई छ्प्पन भोग बनाते है।। जिस
जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को, मिल जाये तरुवर की छाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है।। मैं जबसे सरन तेरी आया, मेरे राम भटका हुआ मेरा मन था, कोई मिल न रहा था सहारा -२ लहरों से लगी हुई नाव को -२ जैसे मिल न रहा हो किनारा-२ इस
बजरंगबली मेरी नाव चली, जरा बल्ली कृपा की लगा देना। मुझे रोग व शोक ने घेर लिया, मेरे ताप को नाथ मिटा देना।। मैं दास आपका जन्म से हूँ, बालक और शिष्य भी धर्म से हुँ।। बेशर्म, विमुख निज कर्म से हूँ, चित से मेरा दोष भुला देना। बजरंगबली मेरी नाव चली…. दुर्बल हूँ, गरीब
।दोहा। है अजब तरह का सामान तेरी शिरडी में, आता हिन्दू है मुस्लमान तेरी शिरडी में। आए जितने भी परेशान तेरी शिरडी में, काम सबके हुए आसान तेरी शिरडी में।। दीवाना तेरा आया, बाबा तेरी शिरडी में। नज़राना दिल का लाया, बाबा तेरी शिरडी में। मिल मुझको मेरे बाबा, भरनी तुम्हे पड़ेगी। झोली मैं खाली
बजरंगबली तेरा हम दर्श अगर पाएं, हे राम भक्त तेरे चरणों में लिपट जाएं। अंजनी के लाल जग में तेरी महिमा न्यारी हो, हे पवन पुत्र तुम तो शंकर के अवतारी हो। बिन देखे तेरी सूरत अब चैन नहीं आए। बजरंगबली तेरा…. ओ सूरज को निगल करके बजरंगी कहलाए, लंका को जलाकर के सीता की
वृन्दावन जाने वालो, वृन्दावन जाने वालो, बांके बिहारी के नाम मेरा पैगाम ले जाओ। वृन्दावन जाने वालो… पेहले मेरी तरफ से तुम चरणों में शीश झुकाना उनके चरणों में बैठ के मेरा दरदे हाल सुनाना, उनके सजदे में मेरा सलाम ले जाओ। वृन्दावन जाने वालो… केहना तेरा दीवाना तुम बिन पल पल तेडप रहा है,
आज अयोध्या में उत्सव निराला जप लो सिया राम नाम की माला नारद जी गाये जय जय श्री राम बजरंगी नाचे होके मतवाला आज अयोध्या में उस्तव निराला दीप जले अति सूंदर मन में राम पता का ठहरे घर घर में उमंगे सब के हिरदये में थिरकती मयूर जैसे नाचे वन वन में खुसियो ने
ये हैं शंकर भोले-भाले, दर्शन करलो जी। दर्शन करलो, झोली भरलो, पर उतरलो जी। भोला भाला नाम धरा, पर सब जग से न्यारा है। जटा में गंगा सोहे हैं, मस्तक चन्द उजियारा है। ये हैं सब जग के रखवाले, दर्शन करलो जी।।1।। आक धतूरा खाते हैं तन पे रख रमाते हैं। एक हाथ त्रिशूल लिए