टेर : थाने विनती करूं मैं बारम्बार मर्याद भवानी अर्ज सुनो। गंगे भूप पर कृपा किन्ही गढ़ र नींव लगाय, देशनोक में बण्यो देवरो शोभा तो बरणी न जाय। थाने विनती….. सेखों जी मुल्तान री कैद में घर बेटी रो ब्याह, बनके कांवली डाल पंजे मैं फेरा सु पहले पुगाय। थाने विनती….. गंगे भूप की
टेर : थारी मुरली मनड़ो मोयो कान्हा और बजाओ थारी मुरली न। आ मुरली मीरा बाई ने मोही राणे न छोड़ मीरां थारे संग होई मेड़तियो छिटकायो कान्हा। आ मुरली राधा प्यारी ने मोही बृज में गोपी लीला होई मधुबन रास रचायो कान्हा। आ मुरली कर्मा बाई न मोही मंदिर में थारी बाटा जोही जीण
शास्त्रों के अनुसार भगवान को आरती के बाद भोग लगाया जाता है। आज हम श्री राम जी का बहुत ही सूंदर भोग लेके आये है। जो निसंदेह आपको श्री राम जी के साथ भाव से जोड़ देगा और आपको मन में शांति और श्रद्धा का भाव पैदा करेगा तो आएंगे मेरे साथ इस राम जी
शास्त्रों के अनुसार भगवान को आरती के बाद भोग लगाया जाता है। आज हम कृष्ण जी का बहुत ही सूंदर भोग लेके आये है। जो निसंदेह आपको गोविन्द जी के साथ भाव से जोड़ देगा और आपको मन में शांति और श्रद्धा का भाव पैदा करेगा तो आएंगे मेरे साथ इस कृष्णा के भोग को
आज हम श्री राम जी का बहुत ही सूंदर भजन लेके आये है। जो निसंदेह आपको श्री राम जी के साथ भाव से जोड़ देगा और आपको मन में शांति और श्रद्धा का भाव पैदा करेगा। || मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणों में, श्रीराम तुम्हारे चरणों में हनुमान तुम्हारे चरणों में ||
टेर : तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार उदास मन काहे को करे नैया कर तूं प्रभु के हवाले लहर लहर हरी आप संभाले हरि आप उतारेंगे पार उदास मन काहे को करे तेरा रामजी करेंगे…… काबू में मझधार उसी के हाथों में पतवार उसी के बजी जीत ले ओ चाहे हार उदास मन काहे को
टेर : राम नाम के हीरे मोती मैं बिखराऊ गली गली, ले लो रे कोई राम का का प्यारा आवाज लगाऊ गली गली। दौलत के दीवानों सुन लो एक दिन ऐसा आवेगा, धन दौलत और रूप खजाना यहीं धरा रह जावेगा, सूंदर काया माटी होगी चर्चा होगी गली गली। ले लो रे….. मित्र प्यारे सगे
दोहा : माया सगी न मन सगा सगा न ये संसार, परस राम या जीव का सगा वो सिरजन हार। टेर : भजमन राम चरण सुखदाई। जिन चरणन से निकली सुर सूरी शंकर जटा समाई जटा शंकरी नाम धरयो है त्रिभुवन तारन आई। भजमन…. जिन चरन की चरनन पादुका भरत रहे मन लाई सोई चरण
टेर : सीताराम सीताराम सीताराम कहिये, जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये। मुख में नाम राम सेवा हाथ में, कैसे तूं अकेला प्राणी राम तेरे साथ में, विधि का विधान जान लाभ हानि सहिये। जाहि ….. जिंदगी की डोर छोड़ राम जी में, महलों में राखों चाहे झोपड़ी में बास दे, धन्यवाद निर्विवाद राम
टेर : सालासर वाला हरियो विघन सब दूर। सालासर तेरा भवन बिराजे झालर शंख नगाड़ा बाजे, नित उठ थारे नोपत बाजे तन पर चढ़त घृत सिंदूर। सालासर वाला…. तुम हनुमंता हो रण मंडल मोटे मोटे पांव बड़े भुज दंडल, दुष्टों को मार के कर दिया खंडन कर दिया चकना चूर। सालासर वाला…. रामचंद्र के सारे