शिवजी मैं ना होती तो, थाने कुण ब्यावती जी, (थाने कुण ब्यावती जी) थाने कुण ब्यावती जी-२ थाने याद न माखन खाबो, थे तो भांग धतूरा चाबो, थाके तन पर नही कोई गाबो, थाके लारे आयोड़ी लुगाई काई खावती जी। शिवजी मैं ना होती तो, थाने कुण ब्यावती जी, (थाने कुण ब्यावती जी) थाने कुण
बालाजी यो होया रोग पुराना हो, मेहंदीपुर ने छोड़ दियां आज सोनीपत राणा हो। तेरी बेटी पे संकट आया, अरे रखो जाके कुन बांस आया, ऊपर से दुःख न्यारा छूट गया पीना खाना, बालाजी यो होया रोग पुराना हो। कड़े लाडू काढ़े बर्फी ख्वाउ, लाया लाया थक गया पति कमाऊ, और के बाबा तने बताओ
आदियोगी, दूर उस आकाश की गहराइयों में, इक नदी से बह रहे हैं आदियोगी, शून्य सन्नाटे टपकते जा रहे हैं, मौन से सब कह रहे हैं आदियोगी, योग के इस स्पर्श से अब, योगमय करना है तन मन, सांस शाश्वत सनन सननन, प्राण गुंजन घनन घननन, उतरे मुझ में आदियोगी, योग धारा छलक छनछन, सांस
गुरुदेव दया करके, मुझको अपना लेना, मैं शरण पड़ा तेरी, चरणों में जगह देना। करुणामई नाम तेरा, करुणा दिखलाओं तुम, सोये हुए भागो को, मेरे बाबा जगाओं तुम, मेरी नाँव भँवर डोले, उसे पार लगा देना, गुरुदेव दया करके, मुझको अपना लेना, मैं शरण पड़ा तेरी, चरणों में जगह देना। तुम सुख के सागर हो,
वो कौन है जिसने हम को दी पहचान है, कोई और नहीं खाटू वाला श्याम है, जिसकी रेहमत से होता हर इक काम है, मेरा श्याम है मेरा श्याम है, वो कौन है जिसने हम को दी पहचान है, हर चाहत पूरी करे दिल की आवाज को सुन कर, फूलो की सहज सजा दी राहो
जी चाहे बार बार तुम्हे देखता रहूँ, ऐ हुस्न के सरकार तुम्हे देखता रहूँ, जी चाहे बार बार तुम्हे देखता रहूँ। आँखों के रास्ते तुम्हे दिल में उतार के, आँखों के रास्ते तुम्हे, दिल में उतार के, हरपल ऐ बांके यार तुम्हे देखता रहूँ, ऐ हुस्न के सरकार, तुम्हे देखता रहूँ, जी चाहे बार बार
सुख भी मुझे प्यारे हैं, दुःख भी मुझे प्यारे हैं, छोडूं मैं किसे भगवान् दोनों ही तुम्हारे हैं। सुख दुख ही तो दुनियाँ की गाड़ी को चलाते हैं, सुख दुख ही तो हमको इन्सान बनाते हैं। संसार की नदियों के दोनों ही किनारे हैं। सुख भी मुझे प्यारे हैं, दुःख भी मुझे प्यारे हैं॥ दुख
ये मंजिल आख़िरी है, कब्र ही तेरा ठिकाना है, ये रिश्ते तोड़ने हैं, और ये दुनियाँ छोड़ जाना है, जिंदगी उसकी अमानत है, सभी को एक ना दिन, मौत का कर्जा चुकाना है। तू लाख इफाजत कर ले, तू लाख़ करे रखवाली, उड़ जायेगा एक दिन पंछी, रहेगा पिंजरा खाली। ना कोई अंजुमन होगी, ना
खाटू के बाबा श्याम जी, मेरी रखोगे लाज, रखोगे लाज मेरी, रखोगे लाज मेरी, मीरा के घनश्याम जी, मेरी रखोगे लाज।। एक भरोसो थारो है, तू ही पत राखनहारो है। छोटो सो मेरो काम जी, मेरी रखोगे लाज, खाटु के बाबा… टेर सुनो सांवल सा मेरी, धीर बंधाओ करो ना देरी। दुःख हर्ता थारो नाम
सा-रा-रा होलिका जले, शत्रु राख में मिले हमने जब जब समशिरे, तानी है माय भवानी सन-न-न आंधियां उठे, शत्रु जड़ से मिटे हमने बात यही मन में, ठानी है माय ऐ भवानी हम सब मर्द मेवाड़े, बड़े ख़ुदार हैं अब हर एक दिन स्वराज का, त्योहार है अब ये शीश ना झुके। तेरी लाज हम