Shri Durga Aarti – श्री दुर्गा आरती

अम्बे तू है जगदम्बे काली,जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती,ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥ तेरे भक्त जनो पर माताभीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पड़ो माँकरके सिंह सवारी॥ सौ-सौ सिहों से बलशाली,है अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती। ओ

Maa Vaishno Aarti – माँ वैष्णो आरती

जय वैष्णवी माता,मैया जय वैष्णवी माता। हाथ जोड़ तेरे आगे,आरती मैं गाता॥ शीश पे छत्र विराजे,मूरतिया प्यारी। गंगा बहती चरनन,ज्योति जगे न्यारी॥ ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे,शंकर ध्यान धरे। सेवक चंवर डुलावत,नारद नृत्य करे॥ सुन्दर गुफा तुम्हारी,मन को अति भावे। बार-बार देखन को,ऐ माँ मन चावे॥ भवन पे झण्डे झूलें,घंटा ध्वनि बाजे। ऊँचा पर्वत तेरा,माता

Shri Saraswati Mata Aarti – आरती श्री सरस्वती माँ

जय सरस्वती माता,मैया जय सरस्वती माता। सदगुण वैभव शालिनी,त्रिभुवन विख्याता॥ जय सरस्वती माता॥ चन्द्रवदनि पद्मासिनि,द्युति मंगलकारी। सोहे शुभ हंस सवारी,अतुल तेजधारी॥ जय सरस्वती माता॥ बाएं कर में वीणा,दाएं कर माला। शीश मुकुट मणि सोहे,गल मोतियन माला॥ जय सरस्वती माता॥ देवी शरण जो आए,उनका उद्धार किया। पैठी मंथरा दासी,रावण संहार किया॥ जय सरस्वती माता॥ विद्या ज्ञान

Shree Laxmi Maa Aarti – श्री लक्ष्मी आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशिदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥ उमा, रमा, ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता। सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥ दुर्गा रुप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता। जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥ तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता। कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥