शक्ति दे माँ, शक्ति दे माँ पग पग ठोकर खाऊं, चल ना पाऊं, कैसे आऊं मैं दर तेरे, शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ, शक्ति दे माँ, शक्ति दे माँ। पग पग ठोकर खाऊं, चल ना पाऊं, कैसे आऊं मैं घर तेरे हाथ पकड़ ले, हाथ बढ़ा दे, अपने मंदिर तक पहुंचा दे हाथ पकड़
हो मैं परदेसी हूँ पहली बार आया हूँ, दर्शन करने मइया के दरबार आया हूँ, हो मैं परदेसी हूँ पहली बार आया हूँ, दर्शन करने मइया के दरबार आया हूँ। ऐ लाल चुनरिया वाली बेटी, ये तो बताओ माँ के भवन जाने का रास्ता किधर से है, इधर से है या उधर से सुन रे
लाल देह लाली लसे ,अरूधर लाल लंगूर। वज्र देह दानव दलन , जय जय कपि सुर। झालर शंख नगाड़ा बाजे रे, सालासर रा मंदिर में, हनुमान विराजे रे-२ हनुमान विराजे रे, बलि बजरंग विराजे रे। भारत राजस्थान में, सालासर एक धाम। सूरज सामी बनियो देवरो, बालाजी रो धाम। जारे लाल ध्वजा लहरावे रे, सालासर रा
मेरी दाती दिया सोहनीया सुंदर पहाड़िया ने, जिथे माता वसे जग दी दाता वसे, शेरावाली वसे जग दी वाली वसे, मेरी दाती दिया… सुंदर गुफा विच बैठी भवानी, विश्व दी मालिक वैष्णो रानी, राती दिने ओहदे खुले द्वारे, झोलियाँ भर लो भरे ने भंडारे। मेरी दाती दिया… भोली माँ दा ओथे भवन रंगीला, बूहे उते
जय जय… ज्योतिर्लिंग जय जय, महाकाल मृत्युंजय जय-२ जय जय… ज्योतिर्लिंग जय जय, महाकाल मृत्युंजय जय-२ शिप्रत उज्जैनी नगरी, पवन तीर्थ धाम जो आए शिव शरण तुम्हारी-२ उसके हो पूर्ण काम-२ जय जय… ज्योतिर्लिंग जय जय, महाकाल मृत्युंजय जय-२ जय जय… ज्योतिर्लिंग जय जय, महाकाल मृत्युंजय जय-२ भसमी को सिंघार सुहाये, भूषण गले भुजंग हो,
दो एकम दो दो दुनि चार प्रेम से बोलो मैया जी की जय जय कार, दो तीया छे दो चौके आठ देखो जी देखो मेरी मैया जी के ठाठ, दो एकम दो दो दुनि चार……….. मैया की महिमा है बड़ी महान जैकारे से गूंज ता है सारा जहां, शेरोवाली मैया तेरी ऊंची है शान बचो
मेरी बहना ये राखी की लाज तेरा भईया निभाएगा.. तुझे दिल से कभी ना भुलाएगा, मेरी बहना ये राखी की लाज तेरा भईया निभाएगा। दिन रात देखे मन एक सपना, जब तेरी बारात आएगी अँगना।(x2) हीरे मोती तुझ पे लुटा के(x2) चांद तारों से डोली सजाएगा। मेरी बहना ये राखी की लाज तेरा भईया निभाएगा…
॥दोहा॥ जब भार बढ्यो धरती पर, हरी लियो अवतार। पापी दुष्टांने मारीया, निकळंक नेजाधार॥ हे रूणीचे रा धणियाँ, अजमाल जी रा कँवरा , माता मेणादे रा लाल, राणी नेतल रा भरतार, म्हारो हेलो, सुणो नी रामा पीर जी॥ घर-घर होवे पूजा थांरी, गाँव-गाँव जस गावे जी। जो कोई लेवे नाम धणी रो, मन चाया फळ
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो, चरन हो राघव के, जहा मेरा ठिकाना हो। लक्ष्मण सा भाई हो, कौशल्या माई हो, स्वामी तुम जैसा मेरा रघुराई हो, नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो। हो त्याग भरत जैसा, सीता सी नारी हो, लव-कुश के जैसी सन्तान हमारी हो, नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल