दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया। राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया॥ द्वारे पे उसके जाके कोई भी पुकारता, परम कृपा दे अपनी भव से उभारता। ऐसे दीनानाथ पे बलिहारी सारी दुनिया, दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया॥ दो दिन का जीवन प्राणी कर ले विचार तू, प्यारे प्रभु को अपने मन में निहार तू।
दोहा: राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट। अंत समय पछतायेगा, जब प्राण जायेंगे छूट॥ तेरे मन में राम, तन में राम, रोम रोम में राम रे, राम सुमीर ले, ध्यान लगाले, छोड़ जगत के काम रे। बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम॥ माया में तू उलझा उलझा धर धर धुल
जीवन तुमने दिया है, संभालोगे तुम जीवन तुमने दिया है, संभालोगे तुम। आशा हमें है, विश्वास है हर मुश्किल से विधाता निकालोगे तुम जीवन तुमने दिया है, संभालोगे तुम आशा हमें है विश्वास है हर मुश्किल से विधाता निकालोगे तुम जीवन तुमने दिया है, संभालोगे तुम। साये में हम आपही के पले सत्कर्म की राह
राम नाम सोहि जानिये, जो रमता सकल जहान, घट घट में जो रम रहा, उसको राम पहचान। तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार, उदास मन काहे को करे। नैया तेरी राम हवाले, लहर लहर हरि आप सँभाले। हरि आप ही उठावे तेरा भार, उदास मन काहे को करे॥ काबू में मँझधार उसी के, हाथों में पतवार
तू दयाल, दीन हौं, तू दानी, हौं भिखारी। हौं प्रसिद्ध पातकी, तू पाप पुंज हारी॥ नाथ तू अनाथ को, अनाथ कौन मोसो। मो सामान आरत नाही, आरती हर तोसो॥ ब्रह्मा तू, जीव हौं, तू ठाकुर, हौं चेरो। तात मात गुरु सखा, तू सब विधि ही मेरो॥ तोही मोहि नाते अनेक, मानिए जो भावे। ज्यो त्यों
तुम आशा विश्वास हमारे। तुम धरती आकाश हमारे॥ तात मात तुम, बंधू भ्रात हो, दिवस रात्रि संध्या प्रभात हो। दीपक सूर्य चद्र तारक में, रामा, तुम ही ज्योति प्रकाश हमारे॥ साँसों में तुम आते जाते, एक तुम्ही से हैं सब नाते। जीवन वन के हर पतझर के, एक तिम्ही मधुमास हमारे॥ तुम्ही ही सब में,
तुम दर्शन हम नैना रामा तुम दर्शन हम नैना रामा तुम दर्शन हम नैना रामा तुम दर्शन हम नैना रामा॥ कौशल्या की कोख से तुमने जनम लिया है ऐसे सुख समृद्धि की गंगा को मुख से जन्मे जैसे गंगा जन्मे जैसे सरजू के तट झूम के गायें पल पल आज बधाई जग जग अँखियाँ तरसी
ठुमक ठुमक ठुमक ठुमक चले राम लल्ला पग पैजनिया बाजे रे पग पैजनिया बाजे रे ठुमक ठुमक ठुमक ठुमक चले राम लल्ला पग पैजनिया बाजे रे पग पैजनिया बाजे रे॥ सुंदर बाल रूप अति सोहे सहज ही त्रिभुवन को मन मोहे सुंदर बाल रूप अति सोहे सहज ही त्रिभुवन को मन मोहे सेस सहस मुख
राम राम भज राम राम भज राम राम भज राम राम भज॥2॥ झूठी काया झूठी माया झूठा ये जग सारा है राम भजन कर प्राणी काहे फिरता मारा मारा है राम राम भज राम राम भज राम राम भज राम राम भज॥2॥ राम नाम ही संगी होगा जब परलोक सिधारेगा अंतिम सांस पे भी गर
जिसकी लागी रे लगन भगवान में, उसका दिया रे जलेगा तूफान में।। तन का दीपक मन की बाती, हरी भजन का तेल रे, काहे को तू घबराता है, ये तो प्रभु का खेल रे, जिसकी लागी रे लगन भगवान मे, उसका दिया रे जलेगा तूफान में।। काहे को तू भूल के बैठा, भज ले श्री