बजरंग बाला ने पवन के लाला ने कोटन कोट प्रणाम।। बजरंग बाला ने पवन के लाला ने कोटन कोट प्रणाम भिखारी तेरे द्वार का बजरँग बाला ने पवन के लाला ने कोटन कोट प्रणाम।। ◾️ कैसा कैसा काम राजा राम का बनाया दरिया ने लांघ सूद सीता जी की ल्याया अंजनी का लाड़ला लाड़ला लाड़ला
मन तेरा मंदिर, आखेँ दिया बाती, होठों की है थालीयाँ, बोल फुल पाती, रोम रोम जिव्हा तेरा नाम पुकारती, आरती ओ मैया आरती, ओ ज्योतावालीये माँ तेरी आरती। हे महालक्ष्मी माँ गौरी, तू अपनी आप है जौहरी, तेरी कीमत तु ही जाने, तु बुरा भला पहचाने, ये कहते दिन और रातें, तेरी लिखी ना जाये
बजरंग बाला जय हो बजरंग बाला पाँव में घुंगरू बांध के नाचे जपे राम की माला बजरंग बाला जय हो बजरंग बाला।। ◾️ सिया राम ही राम पुकारे हनुमत जाए असुर सब मारे सीता की सुध लेने खातिर सीता की सुध लेने खातिर क्या से क्या कर डाला बजरंग बाला जय हो बजरंग बाला। पाँव
पार होगा वही, जिसे पकड़ोगे राम, जिसको छोड़ोगे, पलभर में डूब जाएगा।। ◾️ तिरना क्या जाने, पत्थर बेचारे, तिरने लगे तेरे, नाम के सहारे, नाम लिखते आ गए है, पत्थर में प्राण, जिसको छोड़ोगे, पलभर में डूब जाएगा। पार होगा वहीँ, जिसे पकड़ोगे राम, जिसको छोड़ोगे, पलभर में डूब जाएगा।। ◾️ लंका जलाई, लांघा समुन्दर,
धीर वीरघम वीर साहसी वीरा शक्ति कुंज बलबीरा युद्ध तेज मय पराक्रमी आ जात राम बलबीरा राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम॥ ◾️ राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
बजरंग बाला जय हो अंजनी के लाला रे-2 जपूँ नाम तिहारो, मोहें लागे अति प्यारो, बाबा दर्शन दे दर्शन दे, बजरंग बाला जय हो अंजनी के लाला रे ओ शंकर सुवन केसरी नन्दन पवनपुत्र बलवान रे ओ राम लखन के काज सवांरे अंजनीपुत्र महान रे तीन लोक में महीमा तेरी गावे सब संसार रे बजरंग
बजरंग बलि मेरी नाव चली मेरी नाव को पार लगा देना संताप ह्रदय का मिटा देना बजरंग बलि मेरी नाव चली।। मै दास तो आपका जन्म से हूँ बालक और शिष्य भी धर्म से हूँ निर्लज्ज विमुख निज कर्म से हूँ चित से मेरा दोष भुला देना बजरंग बलि मेरी नाव चली।। दुर्बल गरीब और
राम नाम से तूने बन्दे क्यूँ अपना मुख मोड़ा, दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा। ◾️ इक दिन बीता खेल-कूद में,इक दिन मौज में सोया, देख बुढ़ापा आया तो क्यों पकड़ के लाठी रोया, अब भी राम सुमिर ले नहीं तो पड़ेगा काल हथौड़ा, दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा। ◾️ अमृतमय है नाम हरी
अरि मध्य दिवस न मी तिथि ना अति शीत ना घाम ओ ओ कौशल्या के लाल बन प्रकट भए श्री राम॥ अरि देखे अवध हरसा के देखे अवध हरसा के जनम भयो राम लाला के देखे अवध हरसा के जनम भयो राम लाला के देखे अवध हरसा के जनम भयो राम लाला के॥ राम लाला