राम भजो आराम तजो। राम ही शक्ति उपासना,राम ही शान्ति साधना। राम ही कार्य प्रेरणा,राम ही योग और धारणा। राम ही लक्ष्य है लक्ष्मण का,हनुमान जी के प्राण हैं॥ ◾️ राम सिया राम बोलो, राम सिया राम। जय रधुनन्दन, जय सिया राम। जानकी वलभ, राजा राम। दशरथ नंदन राजा राम। कौशल चन्द्र जय श्री राम॥
सुबह सुबह ले शिव का नाम, कर ले बन्दे यह शुभ काम, सुबह सुबह ले शिव का नाम, शिव आयेंगे तेरे काम॥ ◾️ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय खुद को राख लपेटे फिरते, औरो को देते धन धाम, देवो के हित विष पी डाला, नील कंठ को कोटि प्रणाम, नील कंठ को कोटि प्रणाम, सुबह-सुबह
संकट मोचन नाम है बजरंग तुम्हारा-बजरंग तुम्हारा। संकट मोचन नाम है बजरंग तुम्हारा-बजरंग तुम्हारा। उसकी विपदा टारी तूने, जिसने तुझे पुकारा॥ संकट मोचन नाम है बजरंग तुम्हारा-बजरंग तुम्हारा। लंकपुरी मेँ जाकर पता सिया का लगाया। बड़े बड़े असुरोँ को तूने मार गिराया। फल खाये, बाग उजाड़े, अक्षय को मारा॥१॥ संकट मोचन नाम है बजरंग तुम्हारा-बजरंग
कैलाशपति संग लेके सती, मेरी नैया पार लगा जाना, इतनी विनती है ब्रम्ह्जति, गलती को मति तुम चित लाना॥ ◾️तुम ही हो पिता तुम ही माता, मै हूँ आचक तुम हो दाता, सेवक स्वामी का ये नाता, मेरे दाता आज निभा जाना, कैलाशपति संग लेके सती, मेरी नैया पार लगा जाना, इतनी विनती है ब्रम्ह्जति,
राम भजन कर मन, ओ मन रे कर तू राम भजन। ◾️ सब में राम, राम में है सब, तुलसी के प्रभु, नानक के रब्ब। राम रमईया घट घट वासी, सत्य कबीर बचन॥ ◾️ राम नाम में पावत पावन, रवि तेज्योमय चन्द्र सुधा धन। राम भजन बिन ज्योति ना जागे, जाए ना जीय की जरन॥
चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो, जय हो भोले नाथ जय हो शिव शम्भू श्लोक लिया नाम जिसने भी शिवजी का मन से, उसे भोले शंकर ने अपना बनाया, खुले उस पे सब द्वार शिव की दया के, जो श्रद्धा से भोले के मंदिर में आया॥ ◾️हर हर महादेव की जय हो, शंकर शिव
संकट मोचन तेरे नाम से ही, हर संकट टल जाता है, हो जाए जिसपे एक नजर, जीवन ही संभल जाता है, संकर मोचन तेरे नाम से ही।। ◾️सुनके नाम शनि भग जाए, भुत पिशाच निकट नहीं आए, व्याधा पास भटक नहीं पाए, हे महावीर बजरंगी, थर थर दुष्ट नाम सुन कापे, पल भर ना टिक
राम प्रभु आधार जगत के, राम जीवनाधार। राम एक आदर्श हमारे,वंदन करूँ हज़ार॥ ◾️ दो अक्षर की अमोघ शक्ति, महा मंत्र है मंगल नाम। श्री राम, श्री राम, श्री राम जय राम जय जय राम॥ ◾️ अजानुबाहू, वीर धनुधर। श्यामल कान्ति, शरीर सुन्दर। सुर नर पालक, असुर संघारक। भक्त जानो के हैं विश्राम। श्री राम,
हे भोले शंकर पधारो, हे भोले शम्भू पधारो, बैठे छिप के कहाँ, जटाधारी पधारो, गंगा जटा में तुम्हारी, हम प्यासे यहाँ॥ महा सती के पति, मेरी सुनो वंदना। हे भोले शंकर पधारो, बैठे छिप के कहाँ। आओ मुक्ति के दाता, पड़ा संकट यहाँ॥ भगीरथ को गंगा, प्रभु तुमने दी थी। सगर जी के पुत्रों को,