हम राम जी के, राम जी हमारे हैं, वो तो दशरथ राज दुलारे हैं, मेरे नयनो के तारे हैं, सारे जग के रखवारे हैं, मेरे तो प्राण अधारे हैं, सब भगतन के रखवारे हैं, जो लाखो पापीओं को तारे हैं, जो अघमन को उधारे हैं, हम इनके सदा सहारे हैं, हम उनकी शरण पधारे हैं,
हम भक्तो का है इस जग में छोटा सा परिवार हम पर रहे बरसता यू ही सदा तुम्हारा प्यार हम भक्तो का है इस जग में छोटा सा परिवार हम पर रहे बरसता यू ही सदा तुम्हारा प्यार के सब कुछ तेरे हवाले तुम्हारे बिना कौन संभाले ◾️ तेरा प्यार पाने को जनम लिया है
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया। मेरे राम॥ भटका हुआ मेरा मन था, कोई मिल ना रहा था सहारा। लहरों से लगी हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा। इस लडखडाती हुई
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई। मेरे राम, मेरे राम, तेरा नाम एक सांचा दूजा ना कोई॥ जीवन आणि जानी छाया, जूठी माया, झूठी काय। फिर काहे को साड़ी उमरिया, पाप को गठरी ढोई॥ ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा, यह जग योगी वाला फेरा। राजा हो या रंक सभी का, अंत एक
वीणा नारद की बोले जय हनुमान तू भी रट ले रे हो जायेगा कल्याण वीणा नारद की बोले जय हनुमान वीणा नारद की बोले जय हनुमान तू भी रट ले रे हो जायेगा कल्याण वीणा नारद की बोले जय हनुमान ◾️दुःख भजन भाइये भजन संकट मोचन मंगल कारी दया निधि सुख सागर हनुमत भगतन के
भोले दानी रे भोले दानी, श्लोक दिन और दुखियो के तुम हो सहारे, सदा अपने भक्तो को भोले उबारे, भसम भभूति अपने तन पर राजे, नाग गले में डाले पिते हो नित भांग, के भोले जी तुम प्याले॥ भोले दानी, रे भोले दानी, भोले दानी भोले दानी, भोले निराला, पिए सदा भंगिया का प्याला, हे
सीताराम सीताराम सीताराम कहिये, जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये।। ◾️ ज़िन्दगी की डोर सौंप हाथ दीनानाथ के, महलों मे राखे चाहे झोंपड़ी मे वास दे, धन्यवाद निर्विवाद राम राम कहिये, जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये।। ◾️ किया अभिमान तो फिर मान नहीं पायेगा, होगा प्यारे वही जो श्री रामजी को भायेगा,
सीता राम जी प्यारी, राजधानी लागे, राजधानी लागे, मोहे मिठो मिठो, सरयू जी रो पानी लागे।। ◾️ धन्य कौशल्या धन्य कैकई, धन्य सुमित्रा मैया, धन्य कौशल्या धन्य कैकई, धन्य सुमित्रा मैया, धन्य भूप दशरथ के अँगना, खेलत चारो भैया, मीठी तोतली रसीली प्रभु की, बानी लगे प्रभु की बनी लागे, मोहे मिठो मिठो, सरयू जी
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में, देख लो मेरे मन के नागिनें में। मुझ को कीर्ति न वैभव न यश चाहिए, राम के नाम का मुझ को रस चाहिए। सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में, श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में॥ ◾️ अनमोल कोई भी चीज मेरे काम की नहीं,
कीजो केसरी के लाल मेरा छोटा सा यह काम मेरे राम जी से कह देना जय सियाराम मैं राम संग जपता तुम्हारा सदा नाम अपने राम जी से कह देना जय सिया राम दीन हीन के सहारे महावीर तुम हो अपने भक्तो की जगाते तकदीर तुम हो हर दुखिया का हाथ तुम लेते हो थाम