आउंगी आउंगी मैं अगले, बरस फिर आउंगी, लाऊंगी लाऊंगी तेरी, लाल चुनरियाँ लाऊंगी।। माता ओ माता, पहाड़ो वाली माता। तेरी महिमा सुनते है, तेरी महिमा गाते है, आँख में आंसू लाते है, मोती लेकर जाते है। आउंगी आउंगी मैं अगले, बरस फिर आउंगी, लाऊंगी लाऊंगी तेरी, लाल चुनरियाँ लाऊंगी।। ◾️पर्वत पे है डेरा, ऊँचा मंदिर
मुझे रंग दे ओ रंगरेज, चुनरिया सतरंगी, चुनरिया सतरंगी, चुनरिया सतरंगी, मैया को जाके ओढ़ाऊँ, चुनरिया सतरंगी।। ◾️एक रंग रंग दे भक्ति का, दूजा रंग रंग दे मुक्ति का, एक रंग रंग दे भक्ति का, दूजा रंग रंग दे मुक्ति का, तीजा रंग रंग दे शक्ति का, तुझको क्या समझाऊं, चुनरिया सतरंगी, मुझे रंग दे
धूम मची है धूम माँ के दर, धूम मची है धूम।। श्लोक – कहीं न चैन मिला, जब हमको इस ज़माने में, तो बड़ा आराम मिला, मैया के दर पे आने में। ◾️धूम मची है धूम माँ के दर, धूम मची है धूम, धूम मची है धूम माँ के दर, धूम मची है धूम, द्वार
माँ शारदे माँ शारदे, माँ शारदे माँ शारदे, ओ मैया हम तो हैं बालक तेरे माँ, माँ शारदे माँ शारदे।। ◾️तू है दयालु बड़ी, माँ वीणा पाणी, करती दया हो सब पे, अम्बे भवानी, हो मैया विद्या का आके, हमको भी भण्डार दे, माँ शारदे माँ शारदे।। ◾️करदो हमारी आज, माँ पूरी आशा, कब से
साँची कहे तोरे दर्शन से हमरे, जीवन में आई बहार मैया जी, मैया की सूरत ममता की मूरत, सुनती हो सबकी पुकार मैया जी, साँची कहे तोरे दर्शन से हमरे, जीवन में आई बहार मैया जी।। ◾️की तेरी सेवा माँ तुझको ही पूजा, मैया के जैसा ना है कोई दूजा, अब हमने जाना की ममता
तेरे दर पे माँ, जिंदगी मिल गई है, मुझे दुनिया भर की, ख़ुशी मिल गई है, तेरे दर पे माँ, जिंदगी मिल गई है।। ◾️जमाने से जो ना मिला, तुमसे पाया, भटकता हुआ जब मै, तेरे दर पे आया, जो दिल में थी हसरत, वही मिल गई है, तेरे दर पे मॉ, जिंदगी मिल गई
ओढ़ चुनरियाँ मैया लाल चली, सिंघ सवारी पे है लगती भली।। ◾️लाल रंग की लाल चुनरियाँ, लाल है तेरे लाए, रंग लाल करता कमाल, जो तेरे मन को भाए, ओढ़ चुनरियाँ मैया लाल चली, सिंघ सवारी पे है लगती भली, पीछे पीछे है भैरो नाथ चले, आगे चले है वीर बजरंग बलि, ओढ़ चुनरियाँ मैया
ये गोटेदार चुनरी आजा माँ ओढ़ के, मेरे घर आजा माँ तू मंदिर को छोड़ के।। ◾️राम भी आए मैया लक्ष्मण भी आए है, सीता भी आई मईया कुटिया को छोड़ के, ये गोटेदार चुनड़ी आजा माँ ओढ़ के, मेरे घर आजा माँ तू मंदिर को छोड़ के।। ◾️शंकर भी आए मैया पारवती भी आई
सिंघ सवारी महिमा भारी, पहाड़ों में अस्थान तेरा, ब्रम्हा विष्णु शिव शंकर भी, करते माँ गुणगान तेरा।। ◾️कोलकत्ता में काली से, तेरे मंदिर नगर नगर में, तेरा भरे नवरात में मेला, तेरी पूजा हो घर घर में, धोलागढ़ और गुड़गामे में, भक्त धरते ध्यान तेरा, ब्रम्हा विष्णु शिव शंकर भी, करते माँ गुणगान तेरा।। ◾️तने
तू माँ शहंशाहो की शहंशाह, मैं गरीबो से भी गरीब हूँ, तेरे हाथो ने लिखी किस्मतें, जो ना बन सका मैं नसीब हूँ, तू माँ शहंशाहो की शहंशाह।। ◾️तेरा हर जुबां पे है जिक्र माँ, तुझे हर भगत की है फिक्र माँ, क्यों मुझि पे नजर करम नहीं, क्या तेरे लिए मैं रकीब हूँ, तू