श्री शनिदेव अमृतवाणीVerified Lyrics 

Shri Shanidev Amritwani

भानु लाल शनिश्चरा करुणा दृष्टि कर,
नतमस्तक विनती करें हर एक संकट हर।

महा गृह तू महावली शक्ति अपरम्पार,
चरण शरण में जो आये उनका कर उद्धार।

अपने के प्रभाव को हमसे रखियो दूर,
हे रवि नंदन ना करना शांति दर्पण चूर।

नटखट क्रोधी देव तुम चंचल तेरा स्वाभाव,
चिंतक के घर हर्ष का होना कभी अभाव।

जय जय जय शनिदेव, जय जय जय शनिदेव

नील वर्ण शनि देवता रुष्ट ना जाना हो,
अपने भक्तों के सदा दुःख संताप हरो।

शुभ दृष्टि दया भाव से हर प्राणी को देख,
तुझसे थर थर कांपती हर मस्तक की रेख।

प्रणय रूप तेरा रूठना सहन करेगा कौन,
ज्ञानी ध्यानी सब तेरे सम्मुख रखते मौन।

सुख संपत्ति का यहाँ होना कभी विनाश,
भास्कर लला ना हमें करना कभी निराश।

जय जय जय शनिदेव, जय जय जय शनिदेव

शनि सोत्र का मन से करते जो जन पाठ,
उनके गृह में कर सदा वैभव की बरसात।

शुभ दृष्टि तेरी मांगते दिन हीन हम लोग,
दीजो सुख शांति हो ना शौक वियोग।

अपने मंद प्रभाव को रखियो सदा अलोक,
दर दर भिक्षा मांगते जिनपर हो तेरा कोप।

चरनन में देव तेरे त्रिभुवन करे पुकार,
भय, संकट हर कष्ट से मुक्त रहे संसार।

जय जय जय शनिदेव, जय जय जय शनिदेव

बाधा हरो हर काज की बिघ्न का कर समाधान,
तेरे प्रसन्नता से होता जन जन का कल्याण।

महा प्रतापी प्रबल वीर तुझसा कोई ना आथ,
अनुकम्पा हम पर करो ग्रहों के सिरमोर।

रुद्रान्तक तेरा रूप है कृष्ण वर्ण हे नाथ,
हर साधक के सिर पर करुना का धर हाथ।

शिव के शिष्य हे देवता महिमा तेरी महान,
आरोग्य जीवन हो सदा देना मान सम्मान।

जय जय जय शनिदेव, जय जय जय शनिदेव

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