सतगुरु मेहर करVerified Lyrics 

Satguru Mehar Kar

छोड़ के सारी दुनिया, आया मैं तेरे दर पर,
सतगुरु मेहर कर, सतगुरु मेहर कर…

मुझमे भी बहुत अवगुन हैं, मैं गुनहगार हूँ,
उजड़ा पड़ा जो बरसों से, मैं वो दयार हूँ,
हर पल लगता है डर… सतगुरु मेहर कर..

तूफानों में है मेरी कश्ती, मुझसे दूर किनारा,
मैं और पुकारूँ किसको, बिन तेरे कौन सहारा,
भव सागर से पार लगा दे तुझसे यही गुहार…
सतगुरु मेहर कर…

है चारो ओर अँधेरा, कोई राह नहीं है
अब और मुझे जीने की, कोई चाह नहीं है
जिस वक़्त रूकें मेरी साँसे
तेरे चरणों में हो सर्र… सतगुरु मेहर कर…

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *