मन तड़पत हरि दर्श को आज

Man Tadphat Hari Darsh Ko Aaj

मन तड़पत हरि दर्श को आज
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
आ, विनती करत, हूँ, रखियो लाज, मन तड़पत…

तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी
हमरी ओर नज़र कब होगी
सुन मोरे व्याकुल मन की बात, तड़पत हरि दर्शन…

बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ
दीजो दान हरि गुन गाऊँ
सब गुनी जन पे तुम्हारा राज, तड़पत हरि…

मुरली मनोहर आस न तोड़ो
दुख भंजन मोरे साथ न छोड़ो
मोहे दर्शन भिक्षा दे दो आज दे दो आज।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *