कार्तिक की ग्यारस आई, बरसे अमरित की धार,

Kartik Ki Gyaras Aai Barse Amrit Dhar

तर्ज:- मैने रंगा बसन्ती चोला

कार्तिक की ग्यारस आई, बरसे अमरित की धार,
मां अहलवती के आंगणिये में श्याम लियो अवतार,
बड़भागी है पांडवकुल, जो मंगल बेला आई,
ये दादा भीमबली भी, बांटे है आज बधाई,
कोयलिया झूम के गाए, नाचे सारा संसार,
मां अहलवती के आंगणिये में श्याम लियो अवतार।।

सूरज सा तेज है मुँख पर, चंदा सा लागे प्यारा,
मेरा बर्बरीक बन आया, देखो हारे का सहारा,
नैनों में जादू जिनके, है कलयुग का अवतार,
मां अहलवती के आंगणिये में श्याम लियो अवतार।।

खाटू नगरी में बिराजे, मां अहलवती का जाई,
भगतों का मन हर्षाया, जो श्याम जयन्ती आई,
“मोनू” की नाव चलाए, ये बनकर के पतवार,
मां अहलवती के आंगणिये में श्याम लियो अवतार।।

भजन रचना :- मोनू पारीक, जयपुर

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