तेरे जैसा राम भगत कोई हुआ ना होगा मतवालाverified
Tere Jaisa Ram Bhagat Koi Hua Na Hoga Matavala
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Singer(गायक): लखबीर सिंह लक्खा
तेरे जैसा राम भगत कोई हुआ ना होगा मतवाला,
एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला।
आज अवध की शोभी लगती स्वर्ग लोक से भी प्यारी,
१४ वर्षों बाद राम की राजतिलक की तयारी।
हनुमत के दिल की मत पूछो झूम रहा है मतवाला,
एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥
◾️रतन जडित हीरो का हार जब लंकापति ने नज़र किया,
राम ने सोचा आभूषण है सीता जी की और किया।
सीता ने हनुमत को दे दिया, इसे पहन मेरे लाला,
एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥
◾️हार हाथ में ले कर हनुमत गुमा फिरा कर देख रहे,
नहीं समझ में जब आया तब तोड़ तोड़ कर फैंक रहे।
लंकापति मन में पछताया, पड़ा है बंदिर से पाला,
एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥
◾️लंकापति का धीरज टूटा क्रोध की भड़क उठी ज्वाला,
भरी सभा में बोल उठा क्या पागल हो अंजलि लाला।
अरे हार कीमती तोड़ डाला, पेड़ की डाल समझ डाला,
एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥
◾️हाथ जोड़ कर हनुमत बोले, मुझे है क्या कीमत से काम,
मेरे काम की चीज वही है, जिस में बसते सीता राम।
राम नज़र ना आया इसमें, यूँ बोले बजरंग बाला,
एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥
◾️इतनी बात सुनी हनुमत की, बोल उठा लंका वाला,
तेरे में क्या राम बसा है, बीच सभा में कह डाला।
चीर के सीना हनुमत ने सियाराम का दरश करा डाला,
एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥
हनुमान जी ने अपना सीना फाड़कर दिखाने का कारण रामायण में बताया गया है।
हनुमान जी ने अपना सीना फाड़कर दिखाने का अद्भुत कारण था उनकी वीरता, भक्ति और प्रतिबद्धता का प्रतीक. हनुमान जी, हिंदू धर्म में भगवान राम के द्वारा भेजे गए वानर सेना के मुख्य सेनानायक थे और उन्होंने श्री राम की सेवा में अपना सम्पूर्ण समर्पण किया था।
रामायण में युद्ध के समय, वानर सेना के सदस्य हनुमान जी लंकापति रावण के दरबार में पहुंचे थे। हनुमान जी ने लंकापति रावण को चेतावनी देने के लिए अपने वज्र भाल से अपना सीना फाड़ दिया था। इससे हनुमान जी ने रावण को दिखाया कि वानर सेना पूरी शक्ति और सामर्थ्य के साथ तैयार है और वे लंका के नाश के लिए युद्ध के लिए आए हैं।
हनुमान जी के सीना फाड़ने का यह प्रदर्शन एक प्रतीक है, जिससे वह अपनी शक्ति और प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं। इसके द्वारा वे लंकापति रावण और उसके अनुयायों को भयभीत करने का प्रयास करते हैं और उन्हें राम चंद्रजी की भक्ति के महत्व को समझाने की कोशिश करते हैं। यह एक प्रमुख क्षण है जब हनुमान जी अपनी आदिशक्ति और वीरता का प्रदर्शन करते हैं और राम चंद्रजी के भक्तों को प्रेरित करते हैं।