जिसके हृदय में राम नाम बंद है, उसको हर घडी आनंद ही आनंद है। लेकर सिर्फ राम नाम का सहारा, इस दुनिया को करके किनारा, राम जी की रजा में जो रजामंद है, उसको हर घडी आनंद ही आनंद है। जिसके हृदय में राम नाम बंद है, उसको हर घडी आनंद ही आनंद है। बुरी
कहाँ जा छिपे हो जाकर के कान्हा । अब तक मिला नहीं हमको ठिकाना। जब से गये हो यहाँ से पाती ना पढ़ाई। तेरी याद में झेलें भारी हम तबाई। शोभा न देता प्यारे यों छिप के जाना। अब तक मिला नहीं हमको ठिकाना।। तिनका न खायें गऊएं भारी तडफड़ायें। तेरी याद में गोपी खाना
टेर:- आओ भाई सब मिलकर बोलो राम-राम-राम गर्भवास में कौल किया था, समरुँगा यह बोल दिया था। बाहर आकार भूल्यो हरि को नाम-नाम-नाम॥1॥ मात-पिता बन्धु सुत दारा, स्वार्थ है जब तू लगता प्यारा। बात न पूछे जब हो जावे बे काम काम काम॥2॥ जिसके खतिर पाप कमावै , धरणी-धन यहाँ ही रह जावै। देख नजर
हमको ये तो बता दो ओ मैया, तेरा जलवा कहा पे नही है॥ लोग पिते है पी पी के गिरते, हम पीते है फिर भी ना गिरते, हम तो पीते है सत्संग का प्याला, कोई अंगूरी की मदिरा नही है। हमको ये तो बता दो ओ मैया, तेरा जलवा कहा पे नही है। लोग दुःख
राम भजा सो जीता जग में, राम भजा सो जीता रे। हृदय शुद्ध नही कीन्हों मूरख, कहत सुनत दिन बीता रे। राम भजा सो जीता जग में … हाथ सुमिरनी, पेट कतरनी, पढ़ै भागवत गीता रे। हिरदय सुद्ध किया नहीं बौरे, कहत सुनत दिन बीता रे। राम भजा सो जीता जग में … और देव
बोलो राम जय जय राम, जन्म सफल होगा बन्दे, मन में राम बसा ले, हे राम नाम के मोती को, सांसो की माला बना ले, राम पतित पवन करुनाकर, और सदा सुख दाता, सरस सुहावन अति मनभावन, राम से प्रीत लगा ले, मन में राम बसा ले, मोह माया है झूटा बन्धन, त्याग उसे तू
बाबा थारे रूप के आगे, माहने चंदा फीका लागे, श्याम रूप थारो दिल में समा गयो.. शीश मुकट की छटा निराली मोर पंख लहरावे जी काना कुण्डल लट नागन सी लम्बो तिलक लगावे से फूल खिले जोवन उपवन में जद बाबो मुश्कावे जी थारी अखियां जादू गारी मोटी मोटी कारी कारी श्याम रूप थारो.. सतरंगी
ओ मनवा राम सुमेर ले रे, ओ जीवड़ा राम सुमेर ले रे आसी तेरे काम नाम कीरे, बालद(बोगी) भर ले। बालद भर ले रे मेरे मनवा, बालद भर ले रे, बालद भर ले रे ओ मनवा राम सुमेर ले रे , ओ जीवड़ा राम सुमेर ले रे आसी तेरे काम नाम की, बालद भर ले।
टेर : क्या लेकर तूं आया जगत में , क्या लेकर तूं जायेगा। सोच समझ ले – रे ,मन मूरख आखिर में पछतावेगा।। भाई बन्धु और मित्र प्यारे , मर्घट तक संग जायेंगे , सवार्थ के दो आंसू देकर लॉट -लॉट घर आवेंगे , कोई न तेरे साथ चलेगा ,एक अकेला जावेगा। क्या लेकर तूं…..
दोहा : धन चाहे तो दान कर मुक्ति चाहे तो भज राम हाड़ मास का पुतला बिन भजन किस काम टेर : नर खोव मतना रे काया दुपटो जरी को। नर जपले क्योनी रे सांचो नाम हरी को।। नर खोव मतना रे……।1। काम न करयो तो, मने धोखो कोणी आवे। मन धोखो आवे रे, माया