प्रेम मुदित मन से कहो राम राम राम, राम राम राम, श्री राम राम राम। पाप कटें दुःख मिटें लेत राम नाम। भव समुद्र सुखद नाव एक राम नाम॥ ◾️ परम शांति सुख निधान नित्य राम नाम। निराधार को आधार एक राम नाम॥ ◾️ संत हृदय सदा बसत एक राम नाम। परम गोप्य परम इष्ट
गली गली ढूंढा, वन वन ढूंढा, कहा कहा ढूंढा राम, सब जग ढूंढा मैंने, मन नहीं ढूंढा, जहा मिला मेरा राम। मुझमे राम तुझमे राम सबमे राम समाया, सबसे करलो प्रेम यहां कोई नहीं पराया, यहां कोई नहीं पराया। ◾️ एक बाग़ के फूल हैं सारे,एक हार के मोती, जितने हैं संसार में प्राणी,सबमे एक
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी जाकी अंग-अंग बास समानी (इस भजन में भक्त ने भगवान के साथ ऐसे सुन्दर-सुन्दर सम्बन्ध जोड़े है की, न तो भक्त भगवान से दूर रह सकते है, और ना ही भगवान भक्त से दूर रह सकते है।) ◾️ प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा जैसे चितवत चंद चकोरा
मिलता है सच्चा सुख केवल, प्रभु राम तुम्हारे चरणों में, मिलता है सच्चा सुख केवल, श्री राम तुम्हारे चरणों में, ◾️ चाहे बैरन सब संसार बने, चाहे मौत भी मुझ पे भार बने, चाहे मौत गले का हार बने, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में, मिलता है सच्चा सुख केवल, श्री राम तुम्हारे चरणों में, ◾️
हर मुश्किल हल होगी तेरी आस उसे जो उसे लगाए तू पढ़ लेगा तेरे दुःख वो तो बताये या न बताये तू सच्चे मन से जो उसको बुलाए सुनता वो उसकी हर बात है उसने तो पाया है बस उसका साथ जिसके मन में विश्वास है मन में विश्वास है मन में विश्वास है मन
पायो निधि राम नाम, पायो निधि राम नाम। सकल शांति सुख निधान, सकल शांति सुख निधान॥ पायो निधि राम नाम… ◾️ सुमिरन से पीर हरै, काम क्रोध मोह जरै। आनंद रस अजर झरै, होवै मन पूर्ण काम॥ पायो निधि राम नाम… ◾️ रोम रोम बसत राम, जन जन में लखत राम। सर्व व्याप्त ब्रह्म राम,
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम… जग में साचो तेरो नाम, हे राम, हे राम, हे राम, हे राम… तू ही माता, तू ही पिता है, तू ही तू हे राधा का श्याम, हे राम, हे राम, हे राम, हे राम… तू अर्न्तायामी, सबका स्वामी, तेरो चरणों में चारो धाम, हे राम, हे
प्रेम की अगन हो,भक्ति सघन हो, मन में लगन हो तो,प्रभु मिल जाएंगे॥ ◾️ हृदय में भाव हो,अनुनय की छांव हो॥ आराधन का गांव हो,तो मन खिल जाएंगे॥ प्रेम की अगन हो……………….. ◾️ श्रद्धा की जोत हो,मैन में ना खोट हो॥ करुणा का स्रोत हो,तो प्रभु श्री आएंगे॥ प्रेम की अगन हो……………….. ◾️ चरणों की
माया मरी ना मन मरा, मर मर गया शरीर। आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर॥ माया हैं दो भान्त की, देखो हो कर बजाई। एक मिलावे राम सों, एक नरक लेई जाए॥ मन चंचल चल राम शरण में। हे राम हे राम हे राम हे राम॥ ◾️ राम ही तेरा जीवन साथी, मित्र