आज अयोध्या में उत्सव निराला जप लो सिया राम नाम की माला नारद जी गाये जय जय श्री राम बजरंगी नाचे होके मतवाला आज अयोध्या में उस्तव निराला दीप जले अति सूंदर मन में राम पता का ठहरे घर घर में उमंगे सब के हिरदये में थिरकती मयूर जैसे नाचे वन वन में खुसियो ने
हे जी रे… हे जी रे… हे जी रे… हे रामचंद्र कह गए सिया से, रामचंद्र कह गए सिया से… ऐसा कलयुग आएगा, हंस चुगेगा दाना दुनका, कौआ मोती खाएगा। हे जी रे… सिया ने पूछा भगवन: कलयुग में धर्म-कर्म को कोई नहीं मानेगा? तो प्रभु बोले: धर्म भी होगा कर्म भी होगा, (धर्म भी
॥चौपाई॥ श्री रघुबीर भक्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी॥ निशि दिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहीं होई॥ ध्यान धरें शिवजी मन मांही। ब्रह्मा, इन्द्र पार नहीं पाहीं॥ दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहुं पुर जाना॥ जय, जय, जय रघुनाथ कृपाला। सदा करो संतन प्रतिपाला॥ तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण
क्यूँ घबराऊ मैं, क्यूँ घबराऊ मैं, मेरा तो श्याम से नाता है, क्यूँ घबराऊ मैं, मेरा तो श्याम से नाता है, मेरी यह जीवन गाड़ी, मेरी यह जीवन गाड़ी, श्याम चलता है, क्यूँ घबराऊ मैं, मेरा तो श्याम से नाता है-(2) जब जब मुझको पड़ती है दरकार, श्याम हमेशा रहता है तैयार-(2) श्याम ने मुझपे
श्री राम से कह देना एक बात अकेले में रोता है भरत भैया दिन रात अकेले में श्रीं राम से कह देना एक बात अकेले में आ लौट आ मेरे प्यारे भैया आ लोट के आ मेरे प्यारे भैया वनवासी गए वन में फिर भी तो यही मन में रटता हूँ राम रटना दिन रात
ऐसा प्यार बहा दे मैया, चरणों से लग जाऊ मैं, सब अंधकार मिटा दे मैया, दरस तेरा कर पाऊं मैं। जग मैं आकर जग को मैया, अब तक न मैं पहचान सका, क्यों आया हूँ कहाँ है जाना, यह भी ना मै जान सका, तू है अगम अगोचर मैया, कहो कैसे लख पाऊं मैं। कर
भर दे रे श्याम झोली भर दे भर दे, ना बहलाओ बातों में….।।1।। दिन बीते, बीती रातें, अपनी कितनी हुई रे मुलाकाते, तुझे जाना, पहचाना, तेरे झुठे हुए रे सारे वादे, भूले रे श्याम तुम तो भूले, भूले, क्या रखा हैं वादों में, भर दे रे…… ।।2।। नादान हैं, अंजान हैं, श्याम तू ही तो
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में .. जो सुख पाऊँ राम भजन में सो सुख नाहिं अमीरी में मन लाग्यो .. भला बुरा सब का सुन लीजै कर गुजरान गरीबी में मन लाग्यो .. आखिर यह तन छार मिलेगा कहाँ फिरत मग़रूरी में मन लाग्यो .. प्रेम नगर में रहनी हमारी साहिब मिले सबूरी में