टेर : अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में। है जीत तुम्हारे हाथों में, है हार तुम्हारे हाथों में ।1। है जीत तुम्हारे हाथों में… मेरा निश्चय है बस एक यही, इकबार तुम्हे पा जाऊं मैं। अर्पण करदूँ दुनिया भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में ।2। है जीत तुम्हारे हाथों
टेर : बजरंग बाला जपूँ थारी माला, रामदूत हनुमान, भरोसो भारी है… लाल लंगोटो वालो तू, अंजनी माँ को लालो तू, राम नाम मतवालो तू, भगतां को रखवालो तू, सालासर तेरा भवन बना है सुन ले पवन कुमार, बजरंग बाला जपूँ… शक्ति लक्ष्मण के लागि, पल माहि मूर्छा आगि, द्रोणगिरि पर्वत ल्यायो, सांचो है तू
मेहंदीपुर के बाला जी हमे तेरा सहारा है जब जब भी भीड़ पड़ी तुमको ही पुकारा है मेहंदीपुर के बाला जी … मतलब की दुनिया में अपना भी पराया है सुख दुःख में तुमने ही सदा साथ निभाया है सारा जग झूठा है, सच्चा तेरा ये द्वारा है मेहंदीपुर के बाला जी हमे तेरा सहारा
बालाजी तेरी दुनिया दीवानी हो, हो मन्नै इब पटी स जाण। तीन लोक में डंका बाज-२ हाथ में शक्ति गदा विराजै, बालाजी तुम राम सेनानी हो, हो मन्नै इब पटी स जाण, बालाजी तेरी दुनिया दिवानी हो, हो मन्नै इब पटी स जाण। तीन पहाड़ प तुं घाटे आला-२ राम नाम की जपता माला, बालाजी
टेर : बजरंग बलि मेरी नाव चली जरा बलि कृपा की लगा देना। मुझे रोग दोष ने घेर लिया मेरे पापों को नाथ मिटा देना, मैं दास तो आपका जन्म से हूँ बालक और शिष्य भी धर्म से हूँ। बजरंग बलि….. दुर्बल हूँ गरीब हूँ दीन हूँ मैं निज कर्म क्रिया मति छिण हूँ मैं,
टेर : हो रही जय जयकार बालाजी तेरे मंदिर में, उड़ रही लाल गुलाल बालाजी तेरे मंदिर में। भगत खड़े तोहे भजन सुनावे नाच नाच रमझोल मचावे , खुशियों के लगे अम्बार बालाजी तेरे मंदिर में। कोई मेवा पकवान चढ़ावे बार बार धन माल लुटावे, प्रशादी की बहार बालाजी तेरे मंदिर में। ध्वजा नारियल सवा
टेर : लहर लहर लहराए रे, झंडा बजरंग बली का। इस झंडे को हाथ में लेके, हाथ में लेके साथ में लेके, सिया सुधि ले आये रे, झंडा बजरंग बलि का। लहर-लहर…. इस झंडे को हाथ में लेके, हाथ में लेके साथ में लेके, अक्षय को मार गिराए रे, झंडा बजरंग बलि का। लहर-लहर…. इस
दोहा : जगमग ज्योत जगे नित तेरी हुआ अँधेरा नाश, भगतों के घर हुई रोशनी, मेरी भी पुरो आस। टेर : जलती रहे बजरंग बाला ज्योत तेरी जलती रहे। किसने ओ बाबा तेरा भवन बनाया किसने चवर झुलाया। ज्योत तेरी….. भगतों ने बाबा तेरा भवन बनाया सेवक चवर झुलाया ज्योत तेरी….. लाल सिंदूर बाबा अंग
दोहा : माया सगी न मन सगा सगा न ये संसार, परस राम या जीव का सगा वो सिरजन हार। टेर : भजमन राम चरण सुखदाई। जिन चरणन से निकली सुर सूरी शंकर जटा समाई जटा शंकरी नाम धरयो है त्रिभुवन तारन आई। भजमन…. जिन चरन की चरनन पादुका भरत रहे मन लाई सोई चरण