करते हो कीलकार बाग़ मे करते हो किलकारी, वीर बजरंगी बाँदरिया संगी करते हो किलकार वीर बजरंगी। लाल लंगोटा हाथ में घोटा, गल पुष्पन की माला, अंजनी लाला दिनदयाला, करो पलक में सहाय वीर बजरंगी। तुलसीदास संत मुख गाई राम छवि मन भाई, गृत विप्र का रूप धारकर उनको राह दिखाई, राम मिलन की सुध
अंजनी कुमार थारी महिमा अपार हैं, मेरी बिगड़ी बनाने वाले तेरा सर्जन हार हैं। शिव शंकर के अवतारी और पवन पुत्र बलकारी, थे बाल ज़ती ब्रह्मचारी तेरा हाई आधार है। श्री लाल लंगोटे वाला थारी भक्त फेरता मला, थे सबका हो प्रतिपाला भक्तों से प्यार है। मैं द्वारे तुम्हारे आया और घृत सिंदूर चड़ाया, गल
हनुमान सालासर के, महावीर सालासर के आयो मैं शरण में तेरी। सियाराम के कारज सारे, लंका में आप पधारे। सीताका शोक निवारे, तन गोद मुद्रिका डारी।। हनुमान सालासर के… तूने अक्षय कँवर को मारा, फिर बाग़ जाय उजड़ा। फीर फीर(हर तरफ़ जाके)के लंका ज़ारा, घर विभीषण का उबारा।। हनुमान सालासर के… लक्ष्मण जी को मुर्छा
सुनियो थे हमरी पुकार ओ श्री बजरंग बाला, वीर हो अंजनी के लाल वीर हो सालासर वाला। शीश मुकुट भाल तिलक विराजे थारे, कानों में कुण्डल विशाल।। सुनियो थे हमरी पुकार…. काँधे जनेऊ सुंदर हार गल पुष्पन का सोहे, और जड़ाऊ मोतियन माल।। सुनियो थे हमरी पुकार…. विजय पताका घोटा हाथ में लिया हो भारी,
श्री पंचमुखी हनुमान, बिरद के बंका, शब्द के सांचा। जहाँ आप खड़े महाराज, असुर दल काँपा।। हाआ क्या सागर का गर्व करे ज्यान, कर ज्याऊँ फंका। भला हो रामा। कर ज्याऊँ फंका। म्हारे धणी का हुकम नहीं थारी, ले ज्यातो लंका।। ऐजी श्री पंचमुखी हनुमान, बिरद के बंका, शब्द के सांचा। जहाँ आप खड़े महाराज,
भरत म्हारे कपि जी से अंतर नाहीं, तु मत जिम भलई भरत म्हारे, कपि जी से अंतर नाहीं। जुठेड़ो जीमे अछूतो जिमावे, हाथ धोवे सरयू माइ, हनुमत म्हारे प्राणा से प्यारों, तु मात जिम भलई। १००(सौ) योजन मर्याद समुद्र की, कूद गयो पल माइ, लंका जाये सिया सुधी ल्यायो, गर्ब(घमंड) नहीं मन माइ। शक्तिबाण लग्यो