बजरंग बली तेरे भक्तों का, तुझसे ही गुजारा चलता है। जो द्वार तेरे पे आ ना सका, वह रह रह कर मरता है। तेरे द्वार पे हर दम आते हैं, तेरा दर्शन करके जाते हैं। जो सोच सोच कर रह जाते, वो जीवन भर पछताते हैं। भक्तों का दीवानापन क्या कहुँ, मन हरोल रहे मचलाता
जय जय बाला दीनदयाला तेरे बिना कोई और नहीं। तेरे दर पर आने गिरे हैं जग में मुझको छोड़ नहीं। मेरे तन मन बालाजी तेरे चरणों पर बलिहारी हैं। मैंने अर्जी पेश करी अब आकर मर्जी थारी है। दया करो हे बजरंग बाला जग पे मेरा जोर नहीं।।1।। ना जानू मैं सेवा पूजा भक्ति भाव
दरबार तेरा निराला तुम्हें अंजनी का लाला। अंजनी का लाला तू है अंजनी का लाला।। तूँ है निराला तेरी महिमा निराली। दर पर जो आए कोई बन के सवाली।। उसके संकट को तूने टाला।।1।। मंदिर निराले तेरे सेवक निराले। मन में करे है तू ही सबके उजाले।। हमने तो तेरे दर पर डेरा डाला ।।2।।
फरियाद दुखी दिल की तुमको ही सुनाऊंगा। बजरंग तेरे दर बिन किस दर पर जाऊंगा। मिलकर तेरी दुनिया ने मुझको बड़ा लुटा है। सुंदरता के पोछे सब नाटक झूठा है। भटका हूँ मैं राहों से कब मंजिल पाऊंगा।।1।। अँखिया तेरे बिरहा में दिन रात बरसती है। तेरे दर्शन पाने को सदियों से तरसती है। रहमत
गर हो तेरी दया का इशारा। डूबता हो कोई मिलता पल भर में उसको किनारा। ग्राह गज में हुई थी लड़ाई। गज ने आवाज तुमको लगाई। गर न होती दया मारा जाता वो गजराज बेचारा। शिवरी देखे थी बाट तिहारी। राह में निशदिन लगाती बुहारी। जो ही दर्शन किये कर गई पल भर में जग
ए मेहंदीपुर के बालाजी, कभी मेरे घर भी आ जाना। मैं दास आपका जन्मों से, आकर धीर बंधा जाना।। तेरे रोज सवामण भोग लगे, नित खीर चूरमा खाये तूँ। मेरे पास तो रूखी सूखी है, निर्धन के घर नहीं आये तूँ। अब और सहा नहीं जाता है, दर्शन दे धन्य बना जाना।।1।। सोना चांदी के
आवण में के मजो है, जावण में के मजो है। थारे मेहंदीपुर का दर्शन, पावण में के मजो है। हर साल जन्म दिन पर बाबा म्हें दौड़या आवां। सवा मन को चूरमो म्हें दरबार में चढ़ावां। खाके जरा तो देखल्यो खांवण में के मजो है।।1।। जय जय बाबा, जय जय बाबा, जय जय बाबा बोलो।
॥दोहा॥ श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि। बरनउं रघुबर विमल जसु, जो दायकु फल चारि॥ बुद्धिहीन तनु जानिकै, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥ ॥चौपाई॥ जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥ राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥ महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार
म्हारी विनती सुनो हनुमान, धरु में थारो ध्यान, पवन के प्यारा, अंजनी के लाल दुलारा अंजनी के लाल दुलारा-2 अंजनी के लाल दुलारा, राम का प्यारा-2 1. ?सिर मुकुट गले फूलमाला,थे हो लाल लंगोटे वाला-2 थारे कुंडल झलके कान-2, चंद्र उजियारा। अंजनी के लाल दुलारा। म्हारी विनती सुनो हनुमान, धरु में थारो ध्यान,पवन के प्यारा,