माता रानी का प्यारा भजन जय माता दी बड़ा प्यारा सजा है द्वार भवानी । भक्तों की लगी है कतार भवानी ॥ प्यारा सजा….. ऊँचे पर्वत भवन निराला । आके शीश निवावे संसार, भवानी ॥ प्यारा सजा….. जगमग जगमग ज्योत जगे है । तेरे चरणों में गंगा की धार, भवानी ॥ तेरे भक्तों की लगी
मालिने बनादे एक सेहरा नी, सेहरा नी माता वैष्णो के आए नवराते। माता वैष्णो के आए नवराते नी, शेरावाली माँ के आए नवराते। दिल नाचता ख़ुशी से मेरा नी, मेरा नी माता वैष्णो के आए नवराते॥ मालिने बनादे एक सेहरा नी, सेहरा नी माता वैष्णो के आए नवराते। फूल श्रद्धा के होएंगे जब अर्पण, शुद्ध
आये तेरे नवरात्रे मैया, आए तेरे नवरात्रे, कंजका पूजूँ ज्योत जगाऊँ, रोज़ करूँ जगराते मैया, आये तेरे नवरात्रे मैया, आए तेरे नवरात्रे। पहले नवरात्री खेतेरी बीजूं, धुप और दीप जलाऊँ, उसमें मैं गणपति की मैया, गौरी के दर्शन पाऊँ, कर दे कृपा दे हरियाली, ख़ुशहाली महारानी, अन्न धन जीवन के सुख सारे, तेरे द्वार से
अम्बे, चरण कमल हैं तेरे, अम्बे, चरण कमल हैं तेरे, हम भौंरे हैं जनम जनम के, निस दिन दे दे पेरे, अम्बे, चरण कमल हैं तेरे, अम्बे, चरण कमल हैं तेरे, तु धरती जग पालन करती, अम्बर का आधार है तू, सब सुख झूठे, सब दुख झूठे, इस जीवन कर सार है तू, तु सत्यम्
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥1॥ तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी
हो हो… शेर पे सवार मेरी शेरांवाली माँ, पहाड़ों में बसी मेरी मेहरावाली माँ, रूप हैं तेरे कई ज्योता वाली माँ, नाम है तेरे कई लाता वाली माँ, जग जननी है मेरी भोली भाली माँ। हो… जग जननी है मेरी भोली भाली माँ… मेरे नैनों की प्यास बूझा दे माँ तू मुझे दर्शन दे (माँ
यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ, मत पूछो कहाँ-कहाँ, है संतोषी माँ! अपनी संतोषी माँ-२ जल में भी थल में भी, चल में अचल में भी, अतल वितल में भी माँ। अपनी संतोषी माँ-२ बड़ी अनोखी चमत्कारिणी, ये अपनी माई राई को पर्वत कर सकती, पर्वत को राई द्धार खुला दरबार खुला है, आओ बहन भाई इस
वो है जग से बे-मिसाल सखी, माँ शेरोवली कमाल सखी, तुझे क्या बतलाऊ, वो है कितनी दीनदयाल, सखी री तुझे क्या बतलाऊ, तुझे क्या बतलाऊ॥ जो सच्चे दिल से, द्वार मैय्या के जाता है, वो मुँह माँगा वर, जग जननी से पाता है॥ फिर रहे ना वो, कंगाल सखी, हो जाए, मालामाल सखी, तुझे क्या
पर्वत की चोटी, चोटी पे ज्योति, ज्योति दिन रात जलती है, हो… झिलमिल सितारों की, ओढ़े चुनर माँ, शेर पे सवार मिलती है, ज्योति दिन रात जलती है। लाल चुनरिया, लाल घगरिया, माँ के मन भाए, लाल लांगुरिया, लाल ध्वजा, मईया की लहराए, करे नजरिया, जिसपे मईया, भाग्य चमक जाए, है इतनी भोली, भरती है
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे, इतना दिया मेरी माता॥ मेरी बिगड़ी माँ ने बनायीं, सोयी तकदीर जगायी। ये बात ना सुनी सुनाई, मैं खुद बीती बतलाता रे। इतना दिया मेरी माता, मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे, इतना दिया मेरी माता… मान मिला सम्मान मिला, गुणवान मुझे संतान मिली। धन धान मिला नित ध्यान